MY BHARAT TIMES, 13 अगस्त 2022, श्रीनगर। सरकार में रहकर कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकवादियों के लिए काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों पर एक बार फिर कड़ी कार्रवाई की गई है। इस बार सरकार ने कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं में शामिल आतंकी बिट्टा कराटे की पत्नी असबा समेत चार कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। नौकरी से निकाले गए इन कर्मचारियों में कश्मीर यूनिवर्सिटी के दो प्रोफेसर भी शामिल हैं।
सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत कार्रवाई करते हुए राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। सरकार ने चार कर्मचारियों की सेवाएं बर्खास्त कर दी हैं। इन कर्मचारियों की गतिविधियां खुफिया एजेंसियों और कानूनी व्यवस्था बनाने वाली एजेंसियों के नोटिस में आई थी कि ये कर्मचारी राज्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं।
सरकार ने इस संबंध में 30 जुलाई 2020 को कमेटी का गठन किया था, जिसने मिली जानकारी, रिकार्ड और दस्तावेजों की जांच की। कश्मीर विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग में वैज्ञानिक-डी डॉ मुहीत अहमद भट, कश्मीर विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट स्टडी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी, जम्मू-कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान में प्रबंधक आइटी सैयद अब्दुल मुइद और ग्रामीण विकास निदेशालय कश्मीर में डीपीओ असबा-उल-अरजामंड खान शामिल हैं। असबा आतंकवादी फारूक अहमद खान उर्फ बिट्टा कराटे की पत्नी है।
मुहीत अहमद भट कश्मीर विश्वविद्यालय में अलगाववादी-आतंकवादी एजेंडा चला रहे थे और पाकिस्तान प्रायोजित कट्टरवाद के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर रहे थे। कश्मीर विश्वविद्यालय में माजिद हुसैन कादरी जो सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात थे, का संबंध लंबे समय तक आतंकी संगठनों के साथ रहा है, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा भी शामिल है। उन्हें खिलाफ जन सुरक्षा कानूनी के तहत मुकदमा दायर किया गया था और विभिन्न आतंकी संबंधी मामलों में अलग-अलग धाराओं के तहत एफआइआर भी दर्ज हैं।
जम्मू कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान में प्रबंधक आइटी सैयद अब्दुल मुइद की भूमिका पांपोर के सेमपोरा में संस्थान कांपलेक्स पर हुए हमले में भी रही है। संस्थान में रहते हुए उनकी अलगाववादी ताकतों के साथ हमदर्दी भी थी। इसी तरह बिट्टा कराटे की पत्नी असबा ने पासपोर्ट हासिल करने के लिए गलत जानकारी दी। उसका विदेशी लोगों के साथ संपर्क रहा, जो भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा थे। वे लोग आइएसआइ के पेरोल पर काम कर रहे थे। असबा भारत विरोधी गतिविधियों को जम्मू-कश्मीर में चलाने के लिए धनराशि जुटाने का काम भी करती थी।