MY BHARAT TIMES .लॉकडाउन के दौरान विशाखापट्टनम में बंद पड़ी प्लास्टिक की एक फैक्टरी में काम-काज दोबारा शुरू करने की तैयारी हो रही थी कि इसी दौरान गैस रिसाव की घटना हुई। मौके पर पहुंचे विशाखापट्टनम के जिलाधिकारी वी विनय चंद ने कहा कि कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, उन्हें ऑक्सीजन दिया जा रहा है।गैस लीक होने के बाद सड़क पर जा रहे लोग बेहोश होकर गिरने लगे। घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीएमए की आपात बैठक भी बुलाई। बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे।गैस की चपेट में आने वालों में बच्चे भी शामिल हैं। इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मरने वालों में एक बच्चा भी शामिल है। आंध्रप्रदेश के विशाखापट्नम में जहरीली सटाईरीन गैस के लीक होने से वहां पर दहशत का माहौल बना हुआ है। यह केमिकल प्लांट एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का है। 1961 में बना यह प्लांट हिंदुस्तान पॉलिमर्स का था जिसका 1997 में दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी ने अधिग्रहण कर लिया था। मरने वालों में इंसानों के साथ-साथ जानवर भी शामिल हैं। इस रिसाव से वहां पर कई पालतू जानवरों की भी मौत हो गई।
अभी तक 13 लोगों के मरने और सैकड़ों से ज्यादा लोगों के बीमार होने की खबर है करीब 3 किलोमीटर का एरिया इस गैस रिसाव की चपेट में दुष्प्रभावित हुआ है। यह गैस तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है विशाखापट्नम में चारों तरफ अफरातफरी मची हुई है। आरआर वेंकटपुरम स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर कंपनी में हुए जहरीली गैस के रिसाव के चलते हजारों लोगों को रेस्क्यू किया गया है और 13 लोगों की मौत, 170 लोगों को हॉस्पिटल में कराया गया भर्ती, फैक्ट्री के पास के 5 गांवों को कराया खाली, सैकड़ों लोग सिर दर्द, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ के चलते पहुंचे अस्पताल। इस गैस कांड ने भोपाल गैस कांड की याद दिला दी। कोरोना आपदा और लाॅकडाउन के चलते मृतकों और बीमारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी बीमारों से मिलने के लिए अस्पताल पहुंचे और पीड़ितों की स्थिति जानी। घटना के बाद से इलाके में अफरातफरी का माहौल है। कंपनी के आसपास के पांच गांवों को खाली कराया गया है। फिलहाल गैस रिसाव पर काबू पा लिया गया है। गुरुवार तड़के प्लांट से स्टाइरीन गैस लीक हुई तब आसपास के गाँव के लोग सो रहे थे। ग्रेटर विशाखापटनम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के कमिश्नर श्रीजाना गुमाला ने ट्विटर पर लिखा है, ”सैकड़ों लोगों के भीतर सांस के ज़रिए यह गैस चली गई है. इससे लोग या तो बेहोशी की हालत में हैं या फिर सांस लेने में समस्या हो रही है.”
जानकारी के अनुसार विशाखापटनम के पुलिस कमिश्नर आरके मीना ने बीबीसी तेलुगू को बताया है कि तीन लोगों की मौत प्लांट के पास हुई और पाँच की मौत किंग जॉर्ज अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। अब तक गैस रिसाव शुरू होने की वजह पता नहीं चली है। प्लांट के मैनेजमेंट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है। किंग जॉर्ज अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि 86 लोगों को वेन्टिलेटर पर रखा गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये की मदद देने का एलान किया है। साथ ही जिन लोगों को गंभीर हालत में वेन्टिलेटर पर रखा गया है उन्हें दस दस लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है। हादसे के कारणों की जांच के लिए सरकार ने एक कमिटी का गठन किया है। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि रिहाइशी इलाक़े में प्लांट बनाने की इजाज़त कैसे दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि घटना के संबंध में गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारियों से बात की है, मामले की कड़ी निगरानी की जा रही है। मैं विशाखापट्टनम में सभी की सुरक्षा और भलाई के लिए प्रार्थना करता हूं। उन्होंने इसे लेकर आपात बैठक भी बुलाई। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विजाग में गैस लीक की घटना परेशान करने वाली है, हम लगातार और करीब से घटना की निगरानी कर रहे हैं। गैस लीक होने के बाद से इलाके के लोग दहशत में हैं। मौके पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी लगाई गई हैं और गांवों से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। पुलिस अधिकारी लोगों से घर से बाहर निकलने की अपील कर रहे हैं।
स्टाइरीन गैस क्या है ?
स्टाइरीन मूल रूप में पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक और रेज़िन बनाने में इस्तेमाल होती है। यह रंगहीन या हल्का पीला ज्वलनशील लिक्विड (द्रव) होता है। इसकी गंध मीठी होती है। इसे स्टाइरोल और विनाइल बेंजीन भी कहा जाता है, बेंजीन और एथिलीन के ज़रिए इसका औद्योगिक मात्रा में यानी बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। स्टाइरीन का इस्तेमाल प्लास्टिक और रबड़ बनाने में होता है, इन प्लास्टिक या रबड़ का इस्तेमाल खाने-पीने की चीज़ें रखने वाले कंटेनरों, पैकेजिंग, सिंथेटिक मार्बल, फ्लोरिंग, डिस्पोज़ेबल टेबलवेयर और मोल्डेड फ़र्नीचर बनाने में होता है.
आइये जानते हैं स्टाइरीन के संपर्क में आने पर इंसानों पर क्या असर पड़ता है :
स्टाइरीन की भाप अगर हवा में मिल जाए तो यह नाक और गले में जलन पैदा करती है। इससे खांसी और गले में तकलीफ़ होती है और साथ ही फेफड़ों में पानी भरने लगता है। अगर स्टाइरीन ज़्यादा मात्रा में सांस के ज़रिए शरीर में पहुंचती है तो यह स्टाइरीन बीमारी पैदा कर सकती है। इसमें सिरदर्द, जी मिचलाना, थकान, सिर चकराना, कनफ़्यूजन और पेट की गड़बड़ी होने जैसी दिक्क़तें होने लगती हैं। इन्हें सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन कहा जाता है। कुछ मामलों में स्टाइरीन के संपर्क में आने से दिल की धड़कन असामान्य होने और कोमा जैसी स्थितियां तक बन सकती हैं।
स्टाइरीन त्वचा के ज़रिए भी शरीर में दाखिल हो सकती है, अगर त्वचा के ज़रिए शरीर में इसकी बड़ी मात्रा पहुंच जाए तो सांस लेने के ज़रिए पैदा होने वाले सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। अगर स्टाइरीन पेट में पहुंच जाए तो भी इसी तरह के असर दिखाई देते हैं, स्टाइरीन की फ़ुहार के संपर्क में आने से त्वचा में हल्की जलन और आंखों में मामूली से लेकर गंभीर जलन तक हो सकती है।
महामारी विज्ञान में कई अध्ययनों से यह पता चला है कि स्टाइरीन के संपर्क में आने से ल्यूकेमिया और लिंफ़ोमा का भी जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि, इस चीज़ को अभी पुख्ता तौर पर साबित नहीं किया जा सका है।