MY BHARAT TIMES, देवाल, देवाल ब्लॉक के वाण गाँव में स्थित लाटू देवता मंदिर के कपाट सोमवार को शुभ मुहूर्त में अपराह्न 2.05 बजे पूरे विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इस अवसर पर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज मौजूद रहे। कपाट खुलने पर भक्तों ने लाटू देवता की पूजा-अर्चना कर पुण्य लाभ अर्जित किया। पर्यटन मंत्री ने लाटू देवता की पूजा-अर्चना करते हुए प्रदेश और देश को कोरोना महामारी से बचाने की कामना की। उन्होंने आम जनता से भी कोविड के नियमों का पालन करने, शारीरिक दूरी बनाए रखने, नियमित रूप से मास्क पहनने और कोविड वैक्सीन जरूर लगवाने की अपील की। लग्नानुसार मंदिर के पुजारी खीम सिंह ने पवित्र कुंड में स्नान कर आँख में पट्टी बाँधकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया। मंदिर के पंडित उमेश चंद्र कुनियाल एवं रमेश कुनियाल द्वारा वेद मंत्रोच्चारण कर यज्ञ हवन कर मंदिर के कपाट खोले गए।
उल्लेखनीय है कि लाटू देवता के प्रति अटूट आस्था के चलते दूर-दूर से श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहता है। हिमालयी महाकुंभ नंदा देवी राजजात यात्रा का ये आखिरी पड़ाव है। इसके बाद निर्जन पड़ाव शुरू हो जाते हैं। रूपकुंड, बेदनी बुग्याल और औली बुग्याल का बेस कैंप वाण गाँव है। लाटू देवता के मंदिर के अंदर क्या है, किसी को नहीं मालूम। बारह बरस बाद जब नंदा मायके (कांसुवा) से ससुराल (कैलाश) जाते हुए वाण पहुँचती हैं, तब इस दौरान नंदा का लाटू से भावपूर्ण मिलन होता है। इस दृश्य को देख सभी की आँखें छलछला जाती हैं। यहाँ से लाटू की अगुआई में चौसिंगिया खाडू के साथ राजजात होमकुंड के लिए आगे बढ़ती है। वहीं मान्यता है कि वाण में ही लाटू सात बहनों (देवियों) को एक साथ मिलाते हैं। लाटू देवता पूरे पिंडर दशोली (आंशिक) क्षेत्र के ईष्टदेव हैं। दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना लेकर लाटू के मंदिर मे आते हैं और यहाँ से मांगी मनोकामना जरुर पूरी होती है।