अफगानिस्‍तान पर तालिबान के कब्‍जे के बाद यूएन ने महिलाओं को लेकर अपनी चिंता व्‍यक्‍त की

MY BHARAT TIMES,  अफगानिस्‍तान पर तालिबान के कब्‍जे के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र ने गहरी चिंता जताई है। संगठन के प्रमुख एंटोनियो गुतारेस का कहना है कि तालिबान के आने के बाद अफगानिस्‍तान में जो प्रगति देखने को मिली थी वो खत्‍म हो सकती है। उन्‍होंने भविष्‍य में वहां पर महिलाओं के हकों को लेकर भी चिंता जताई है। उन्‍होंने कहा है कि इस दिशा में बीते दो दशकों के दौरान जो तरक्‍की हासिल हुई थी उसकी रक्षा की जानी चाहिए और उनके अधिकारों का हर हाल में बचाव किया जाना चाहिए।

आपको बता दें कि अफगानिस्‍तान वर्ष 2001 से पहले और बाद में भी काफी समय तक तालिबान की क्रूरता को झेल चुका है। तालिबान शासन की सबसे अधिक मार अफगान महिलाओं पर ही पड़ी थी। तालिबान के दौर में महिलाओं का अकेले घर से बाहर निकलना, उच्‍च शिक्षा हासिल करना, बाहर काम करना, संगीत सुनना, मैच देखना, अकेले विदेश यात्रा पर जाना प्रतिबंधित था। तालिबान के नियमों का पालन न करने वालों को सरे आम सजा दी जाती थी। तालिबान के अफगानिस्‍तान पर कब्‍जे से पहले ही यहां की चुनी गईं महिला सांसदों ने भी इस तरह की ही आशंका जताई थी तालिबान का शासन स्‍थापित होने से एक बार फिर से देश के पुराने बुरे दिन वापस आ सकते हैं।

अब यही बात गुतारेस ने भी कही है। उन्‍होंने जोर देकर कहा है कि महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं को हर हाल में रोकना होगा। तालिबान की हुकूमत में अफगान महिलाओं के साथ दुष्‍कर्म की कई सारी घटनाएं सामने आई थीं। गुतारेस ने इन सभी का जिक्र करते हुए कहा है कि तालिबान समेत दूसरे सभी पक्षों को अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का पालन करना चाहिए। देशवासियों के अधिकारों का सम्‍मान करना चाहिए।

यूएन प्रमुख के एक नोट में कहा गया है कि बदलते माहौल में अफगानिस्‍तान के सामने जबरदस्‍त चुनौतियां हैं। उन्‍होंने इस बात के लिए भी आगाह किया है कि इस युद्ध में जबरदस्‍त मानवीय हानि हुई है। लिहाजा राहत‍कर्मियों को अपना काम करने देना चाहिए और लोगों की मदद के लिए और जीवन रक्षक सहायता पहुंचाने के लिये निर्बाध रास्ता दिया जाना चाहिए।

यूएन महासचिव ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्‍तान में एक शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान देने और देश में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है। इसके अलावा महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों का भी ध्‍यान रखना जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *