धनतेरस और दीपावली का त्योहार इस साल एक साथ मनाया जाएगा। त्रयोदशी गुरुवार रात साढ़े नौ बजे से लग रही है, लेकिन मान्यताओं के अनुसार धनतेरस का त्योहार सूर्योदय या प्रदोष काल यानि सांय काल की पूजा के समय से ही माना जाता है। ऐसे में धनतेरस का त्योहार कल शुक्रवार को सुबह आठ बजे से ही मनाया जाएगा। उत्तराखंड विद्धत सभा के प्रवक्ता विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि 13 तारीख को सुबह 8:00 बजे के बाद खरीददारी की जा सकती है, जिसका मुहूर्त दिन भर है।
पूजा की विधि
परिवार की खुशहाली के लिए शाम को प्रदोष काल में 5:15 से 7:50 तक वृष लग्न में आटे का दीपक बनाकर चौमुखी बत्ती और तिल का तेल डालकर जलाएं। उसे घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की तरफ रखें और ओम नमाय नम: धर्मराज आए नम: मंत्र का जाप करें। इससे वर्ष पर्यंत अल्प मृत्यु आदि भय नहीं होते हैं और लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
दीपावली पर सर्वोक्षसिद्ध योग
इस साल दीपावली पर सर्वोक्षसिद्ध योग का शुभ योग है। इस दिन शाम को साढ़े पांच से आठ बजकर 12 मिनट तक पूजा की जा सकेगी। आचार्य चंडी प्रसाद ने बताया कि 14 तारीख को नरक चतुर्दशी रहेगी उसमें सूर्य उदय से पूर्व 5:20 से 6:45 के मध्य जब सूर्य और चंद्रमा दोनों तुला राशि पर रहे अभ्यंग स्नान करना चाहिए। इस दौरान जल में तिल का तेल अवश्य डालें फिर सूर्य अर्घ्य देकर लाल गुड़हल के फूलों से घर में गणेश लक्ष्मी कुबेर का आवाहन करना करें। मान्यताओं के अनुसार दीपावली के दिन चंद्रोदय के समय जल में गंगा और तिल के तेल में लक्ष्मी जी का वास होने से सूर्योदय से पूर्व स्नान बहुत पुण्य दायक है।