केंद्र सरकार पेट्रोल व डीजल पर शुल्क कटौती का फैसला उचित समय पर करेगी।

केंद्रीय परोक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) के चेयरमैन एम. अजीत कुमार ने कहा कि जहां तक ईधन मूल्यों में कटौती का सवाल है तो इस पर लगातार सरकार की नजर है। इस पर फैसला उचित समय पर लिया जाएगा।

मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय के दौरान राजस्व में अच्छी बढ़ोतरी होगी और तब पेट्रोलियम ईधन पर टैक्स कटौती के बारे में विचार किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 31 मार्च को खत्म वित्त वर्ष के दौरान परोक्ष कर संग्रह एक वर्ष पहले की समान अवधि के मुकाबले 59 फीसद बढ़ा है। इसमें पेट्रोल-डीजल पर रिकॉर्ड उत्पाद शुल्क की भी बड़ी भूमिका रही है।

पिछले वर्ष सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 13 रुपये और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया। वर्तमान में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32.90 रुपये और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर है।

दिल्ली में पेट्रोल का रेट 90.56 रुपये प्रति लीटर है और इसमें उत्पाद शुल्क का हिस्सा 36 प्रतिशत है। डीजल पर उत्पाद शुल्क 31.80 रुपये प्रति लीटर है और इसके प्रति लीटर 80.87 रुपये का के खुदरा बिक्री मूल्य में उत्पाद शुल्क का हिस्सा 39 प्रतिशत है। राज्यों के वैट (मूल्य वर्धित कर) को जोड़ने पर इन ईंधनों के खुदरा मूल्यों में कुल कर का हिस्सा 55 से 60 प्रतिशत बैठता है।

अंतररराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी के बीच देश के कुछ भागों, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पेट्रोल के दाम फरवरी में 100 रुपये लीटर तक पहुंच गये थे। हालांकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा हुई, कीमत वृद्धि पर रोक लग गयी।

पिछले महीने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संसद में कहा था कि पेट्रोल और डीजल पर कर संग्रह 2013 में 52,537 करोड़ रुपये था जो 2019-20 में बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। वहीं 2020-21 के पहले 11 महीनों में यह बढ़कर 2.94 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।

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