माई भारत टाईम्स। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले ‘सचिन तेंदुलकर’ ने 16 साल की बहुत छोटी उम्र में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से अपनी शुरूवात की थी। क्रिकेट के इस महान बल्लेबाज ने अपने खेल की शुरूवात सन् 1989 में की थी। उसके बाद सचिन तेंदुलकर ने अपने नाम कई रिकार्ड बनाये जिन्हें तोड़ना अभी तक खिलाडियों के लिये मुश्किल बना हुआ है। 1989 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने के बाद उन्होंने अपना पहला वर्ल्ड कप सन् 1992 में खेला, इस वर्ल्ड कप में भारत नहीं जीत पाया लेकिन फिर उसके बाद के वर्ल्ड कप मैचों में भारत की टीम फाइनल तक का सफर तय भी नहीं कर पायी। उसके बाद 2003 में सचिन तेंदुलकर को अपना पहला वर्ल्ड कप फाइनल खेलने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने 600 से भी ज्यादा रन बनाये लेकिन उस समय भी भारतीय टीम को फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने 2007 में भी वर्ल्ड कप मैच खेला, लेकिन इस बार भी भारतीय टीम लीग दौर में ही बांग्लादेश से हारकर बाहर हो गई, जिससे सचिन तेंदुलकर का सपना फिर से एक बार कुछ समय के लिये टल गया, लेकिन फिर एक समय आया जब सचिन तेंदुलकर और भारतीय टीम का सपना पूरा होने जा रहा था। 02 अप्रैल 2011 के दिन सचिन तेंदुलकर का 2 दशक से देखा जाने वाला सपना आखिरकार पूरा हो गया।
यह वह दिन था जब भारतीय टीम ने 1983 के बाद अपना दूसरा वर्ल्ड कप जीता। 1983 में कपिल देव और 2011 में महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप जीता।
02 अप्रैल की रात को मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर को पूरी टीम ने अपने कंधों पर उठाकर जश्न मनाया, उस समय सचिन तेंदुलकर की आँखों में अश्रु थे, जो साफ तौर पर खुशी के थे। यह भारतीय टीम और सचिन तेंदुलकर के लिये ऐतिहासिक लम्हा था, क्योंकि बड़े लम्बे इंतजार के बाद सचिन तेंदुलकर के हाथों में विश्व कप की ट्राॅफी थी। वह समय पूरे भारतवर्ष के लिए ख़ुशी का दिन था, हर जगह ख़ुशी ही ख़ुशी थी। पूरे देश में जश्न मनाया जा रहा था,इस दिन को इतिहास के पन्नों में लिखने का श्रेय कुछ हद तक सचिन तेंदुलकर को भी जाता है, इस दिन को महेंद्र सिंह धौनी और उनकी पूरी टीम ने बड़े ही जश्न के साथ मनाया था। आज भले ही सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट से सन्यास ले लिया हो लेकिन अभी भी लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों में राज करते हैं।