यूरोप की सबसे ऊँची चोटी एल्ब्रस (5995 मीटर) को नार्थ फेस से चढ़ाई कर और साउथ से उतरने वाली पहली भारतीय महिला भी बनी रेखा

उत्तराखण्ड की बेटी ने 15 दिन के भीतर माउंट किलीमंज़ारो (अफ़्रीका) और एल्ब्रस (यूरोप) की चोटी पर फहराया तिरंगा

दुनियाँ की सभी 7 ऊँची चोटियों के फ़तह करने के उद्देश्य आगे बढ़ी उत्तराखण्ड की बेटी रेखा ने रचा इतिहास 15 दिन के भीतर माउंट किलीमंज़ारो और एल्ब्रस की चोटियों पर फहराया तिरंगा

हमारी बढ़ती उम्र हमारे स्वास्थ्य के लिए की बाधा नहीं है बल्कि हमारे मस्तिष्क की परिसीमित सोच ही सबसे बड़ी रुकावट है : रेखा तिवारी

Rekha also became the first Indian woman to climb Europe's highest peak Elbrus (5995 meters) from the North Face and descend from the South Face.

MY BHARAT TIMES, 17 सितम्बर 2023, रविवार, देहरादून। दुनियाँ की सभी 7 ऊँची चोटियों के फ़तह करने का उद्देश्य लेकर ग्राम मल्ली देवरिया (किच्छा) ज़िला ऊधम सिंह नगर निवासी स्व० श्री गोपाल दत्त व कलावती तिवारी की सुपुत्री रेखा तिवारी (पावनी-यौगिक नाम) ने हाल ही में अफ़्रीका और यूरोप की सबसे ऊँची चोटी पर तिरंगा फहराकर देश का ही नहीं अपितु प्रदेश का नाम भी ऊँचा किया।

रेखा उर्फ़ पावनी ने बताया कि हिमांचल प्रदेश स्थित ABVIM से प्रशिक्षण लेने के उपरांत उनके मन में दुनिया के सारे ऊँचे पर्वतों को फ़तह करने की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने बताया कि अफ़्रीका की सबसे ऊँची चोटी, किलीमंज़ारो (5895 मीटर) पर तिरंगा फहराने की ख़ुशी उस वक्त और भी दुगनी हो गई जब उसी दिन भारत के चन्द्रयान ने चाँद की सतह पर तिरंगा फहराया था। उसके दो दिन बाद वह रुस के लिये रवाना हो गई क्योंकि उनको यूरोप की सबसे ऊँची चोटी एल्ब्रस (5995 मीटर ) पर भी फ़तह करना था, जो कि अफ़्रीका की चोटी पर चढ़ने के एकदम विपरीत था। माइनस ७ डिग्री सेल्सियस के तापमान और विषम परिस्थिति में माउण्ट एल्ब्रस की चोटी पर तिरंगा फ़हराना एक सुखद अनुभूति दे रहा था और ये ख़ुशी और भी दुगुनी तब हो गई जब समाचार मिला कि भारत ने सूर्ययान आदित्य L-१ का भी सफल प्रक्षेपण कर दिया है। ये दोनों दिन मेरे लिये भी यादगार पल बन गये हैं। इस प्रकार एल्ब्रुस को नार्थ फेस से चढ़ाई कर और साउथ से उतर कर रेखा पहली भारतीय महिला भी बनी।

पेशे से कंप्यूटर इंजिनियर रही रेखा तिवारी के भीतर जीवन को लेकर असीम सँभावनाओं ने जन्म लिया और वह नौकरी छोड़कर अपनी आध्यात्मिक और यौगिक यात्रा में संलग्न हो गई। जीवन के अनुभवों को समायोजित कर रेखा उर्फ़ पावनी ने अपने अनुभव अन्य लोगों से साथ सांझा करना प्रारंभ किये और एक लाइफ कोच के रुप में वह निखर कर आई। दुबई प्रवासी सिलिब्रिटी उद्योगपति सारा बेलहासा की वह पर्सनल लाइफ कोच भी रही हैं। अपने दुबई प्रवास के दौरान उन्होंने अपने यौगिक और अध्यात्म यात्रा की वृद्धि के सिलसिले में कई सारी विदेश यात्राऐं भी की। लाइफ कोच, योग़ शिक्षक और विपाशना ध्यानी होने के साथ ही रेखा काफ़ी साहसिक कार्यों में भी भाग लेती रही हैं। उनका मुख्य उद्देश्य समाज के बदलते वातावरण और लोगों को स्वास्थ के प्रति जागरूक कराना है। उन्होंने ख़ुद ये कारनामा उम्र के ४८वें पड़ाव पर किया है और उनका मानना है कि उम्र को एक संख्या की तरह लेना चाहिये और स्वास्थ के प्रति जागरूक और संजीदा बने रहना चाहिए। आने वाले वर्षों में उनका सपना दुनिया की सभी ऊँची चोटियों को फ़तह करना है जिसमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है।

रेखा तिवारी (पावनी) का मानना है कि हमारी पृथ्वी और उसके बदलते वातावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना और बदलते वातावरण में अपने स्वास्थ के प्रति भी ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है, जो कि वह लगातार पिछले कई वर्षों से अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी जनजागरण का कार्य करती आ रही हैं। उनका एक ही नारा है “Save Earth, Save Health”। माउंटीनियरिंग जैसे साहसिक कार्य करने के पीछे उनका भी उनका एक ही उदेश्य है कि वह लोगों को अपने स्वास्थ्य और बदलते वातावरण के प्रति जागरूक करे, वह भी बिना अपने दिमाग़ के ग़ुलाम रहकर। उनका मानना हैं कि हमारी बढ़ती उम्र हमारे स्वास्थ्य के लिए की बाधा नहीं है बल्कि हमारे मस्तिष्क की परिसीमित सोच ही सबसे बड़ी रुकावट है।

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