अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर अमेरिकी सैनिकों को सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस बुलाने का काम शुरू

MY BHARAT TIMES, काबुल। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। सीएनएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज (एफडीडी) के वरिष्ठ फेलो और एफडीडी के लॉन्ग वॉर जर्नल के संपादक बिल रोगियो ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बढ़ने की संभावना है। रोगियो ने कहा है कि पाकिस्तान ने सीखा है कि आतंकवाद को प्रायोजित करना उसकी विदेश नीति के एक हिस्से के रूप में काम करता है और ऐसे में तालिबान की जीत जिहादी समूहों को प्रोत्साहित करती है।

इस मामले पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों को डर है कि कश्मीर में संघर्षऔर खराब हो सकता है जब से अमेरिका, अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध से खुद को अलग कर लेता है। कश्मीर में रविवार तड़के एक हमला हुआ था। भारत के सुरक्षाबलों को निशाना बनाने वाले एक आतंकवादी द्वारा किए गए ग्रेनेड हमले में कम से कम नौ लोग घायल हो गए।

भारत ने अपने पड़ोसी पाकिस्तान पर आतंकवादियों को खुली छूट देने का आरोप लगाते हुए दोनों देशों के बीच जारी इस लंबे संघर्ष के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। अगस्त 2019 में दोनों देशों के बीच तनाव एक नए सिरे से बढ़ गया जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया। इस कदम ने पाकिस्तान को नाराज कर दिया, जो अपनी उभरी हुई विदेश नीति की फाइल में कश्मीर को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में देखता है।

भारत का कहना है कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए समर्पित है, जिसने 1980 के दशक के अंत में गति पकड़ी थी। सीएनएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों ने लंबे समय से दावा किया है कि आतंकवादी समूह पाकिस्तान के समर्थन या स्वीकृति के साथ काम करते हैं। पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों के समर्थन का आरोप लगता रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर अमेरिकी सैनिकों को सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस बुलाने का काम शुरू हो गया है। युद्ध प्रभावित देश से अभी तक उसके आधे सैनिक लौट भी आए हैं।

अपनी मौजूदगी वहां समाप्त नहीं कर रहे : ब्लिंकन

अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका केवल अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है, देश में अपनी मौजूदी खत्म नहीं कर रहा और वह आर्थिक तथा मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए वहां एक मजबूत राजनयिक उपस्थिति बनाए रखने को प्रतिबद्ध है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *