मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल छात्रों को मिल सकती है राहत, लॉकडाउन के दौरान ई-कक्षाओं की उनकी उपस्थिति भी मान्य होगी

MY BHARAT TIMES, DEHRADUN. लॉकडाउन के दौरान पब्लिक वाहन न चलने के कारण मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल के छात्रों की उपस्थिति में आ रही कमी को ध्यान में रखते हुए देशभर में स्थापित मेडिकल विश्वविद्यालयों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक आयोजित की गई। एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र ने बताया कि बैठक में कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों पर चर्चा की गई। मेडिकल विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की ऑल इंडिया एसोसिएशन ने शिक्षण और परीक्षा संबंधी नियम निर्धारण के संबंध में कई निर्णय लिए गए, जिन्हें संस्तुति के रूप में एमसीआइ और अन्य मानक संस्थाओं को भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान कोरोना संक्रमण के कारण कक्षाओं का संचालन ई-लर्निंग के माध्यम से किया जा रहा है। अभी तक संस्थानवार इनका संचालन किया जा रहा है। तय किया गया है कि इनमें एकरूपता लाई जाए और प्रयोगात्मक विषयों के लिए वेब आधारित स्किल लैब भी शुरू की जाए। साथ ही ई-लर्निंग, ई-कक्षाओं और वेब आधारित स्किल लैब को नियमित पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। इसके अलावा ई-कक्षाओं की उपस्थिति को मानक संस्थाओं से मान्यता भी दिलाई जाएगी। मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल छात्रों को एक बड़ी राहत मिल सकती है। ई-कक्षाओं की उनकी उपस्थिति भी मान्य होगी। इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। मानक संस्थाओं को नया परीक्षा कार्यक्रम जारी करने की भी संस्तुति की गई है। इसके अलावा निजी संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि लॉकडाउन अवधि में समस्त शिक्षकों को संपूर्ण वेतन भुगतान किया जाए।
यह भी निर्णय लिया गया कि छात्रों को किसी भी दशा में बिना परीक्षा उत्तीर्ण न किया जाए। पीजी छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए अतिरिक्त बजट की मांग की जाएगी। बैठक में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि पीजी छात्रों के अनुरोध पर थीसिस जमा करने की अवधि में बिना अतिरिक्त शुल्क के दो-तीन माह की शिथिलता प्रदान की जाए। लॉकडाउन के कारण यातायात बाधित है। इस कारण मेडिकल विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की ऑल इंडिया एसोसिएशन ने बाह्य परीक्षक की नियुक्ति में भी शिथिलता प्रदान करने की संस्तुति की है। यह कहा गया है कि इसमें विकल्प रखा जाए। सर्वप्रथम प्रदेश के बाहर के परीक्षकों, द्वितीय विकल्प के रूप में प्रदेश में स्थापित अन्य विश्वविद्यालयों के परीक्षक और अंतिम विकल्प के रूप में आंतरिक परीक्षकों को नियुक्त किया जाए।

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