MY BHARAT TIMES, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल निशंक को साहित्यिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए शनिवार को वातायन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लंदन के वातायन-ब्रिटेन संगठन की ओर से वर्चुअल माध्यम से आयोजित समारोह में केंद्रीय हिंदी परिषद आगरा के उपाध्यक्ष एवं कवि अनिल शर्मा ने उन्हें यह पुरस्कार दिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने व्यापक मुद्दों पर 75 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है। वातायन-ब्रिटेन संगठन की ओर से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार इससे पहले प्रसून जोशी, जावेद अख्तर जैसी नामचीन हस्तियों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए दिया जा चुका है। डॉ० रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना पर आधारित नई शिक्षा नीति ने भाषा और संस्कृति को केंद्र में रखा है। समारोह में नेहरू सेंटर, लंदन के निदेशक और प्रसिद्ध लेखक डॉ अमीष त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि थे। वातायन की अध्यक्ष मीरा कौशिक और वाणी प्रकाशन की कार्यकारी निदेशक अदिति महेश्वरी समारोह में उपस्थित रहे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल निशंक ने इस सम्मान के लिए वातायन यूके के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए सभी शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया —–
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, मैं वातायन यूके के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मेरे लेखन और साहित्य को सम्मानित करने का निर्णय लिया। वास्तव में यह केवल मेरा व्यक्तिगत सम्मान नहीं है यह सम्मान है भारत का, यह सम्मान है भारतीयता का, यह सम्मान है भारतीय जीवन मूल्यों का और यह सम्मान है भारतीय ज्ञान परंपरा का। यह सम्मान है देव भूमि उत्तराखंड का और यह सम्मान है हर एक साहित्य प्रेमी का जो अपने आप को मेरे लेखन एवं साहित्य से जुड़ा हुआ महसूस करता है। मेरा लेखन मेरे जीवन से कुछ अलग नहीं, यह मेरे अनुभव और जीवन मूल्यों से निकला है। मैंने एक साधारण परिवार में जन्म लिया और समाज में फैले भ्रष्टाचार, संवेदनहीनता, शोषण को भी देखा और विशेषकर अपने गद्य लेखन में ग़रीबों, दलितों और बेसहारा लोगों की पीड़ा को अभिव्यक्ति दी। भारतीयता और राष्ट्रीयता मेरी शक्ति है, जो मेरे गीतों में प्रखरता पाती है।
विविधता में एकता भारत की पहचान रही है। हमारी संस्कृति में भाषाओं का एक विशेष महत्व है। हर संस्कृति की एक भाषा होती है और हर एक भाषा की अपनी संस्कृति, दोनों एक-दूसरे के साथ सिक्के के दो पहलुओं की तरह जुड़ी हैं। जैसे-जैसे भाषा मजबूत होती है वैसे-वैसे ही संस्कृति और सभ्यता को विस्तार मिलता है और लेखन उसी श्रृंखला में देश की सभ्यता और संस्कृति को मजबूत करने का एक विशिष्ट कार्य करता है। वातायन जैसी संस्था वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार एवं प्रसार के लिए वर्षों से समर्पित भाव से प्रयासरत है । देश और दुनिया के हिंदी लेखकों, कवियों को ढूंढ कर लाना, उन्हें सम्मान देना, प्रोत्साहन देना और एक ऐसा मंच प्रदान करना जिसे वे अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से देश की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को पहचान दिला सकें। वातायन को इन प्रयासों के लिए बधाई और अभिनंदन। वतायन सम्मान के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करने वाले सभी सज्जनों एवं देवियों का आभार तथा साधुवाद।