‘कारगिल विजय दिवस’ पर विशेष : कारगिल युद्ध में देश की आन-बान-शान की रक्षा करने वाले वीर शहीद अमर जवानों को नमन, मुख्यमंत्री और मेयर ने गाँधी पार्क में कारगिल में शहीद जवानों को भावभीनी श्रदांजलि अर्पित की।

MY BHARAT TIMES, DEHRADUN, भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है,भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में आज से 21 वर्ष पहले भारतीय सेना ने 26 जुलाई, 1999 के ही दिन नियंत्रण रेखा से लगी कारगिल की पहाड़ियों पर कब्ज़ा जमाए आतंकियों और उनके वेश में घुस आए पाकिस्तानी सैनिकों को मार भगाया था। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में हुआ कारगिल युद्ध समाप्त हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला था और इसमें भारत विजय हुआ। ‘कारगिल विजय दिवस’ युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है।

26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था। इसी की याद में ‘26 जुलाई’ को प्रत्येक वर्ष ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उन सभी शहीदों को याद करने का दिन होता है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण ख़ुशी-ख़ुशी न्यौछावर कर दिए और देश की आन-बान-शान की रक्षा की थी।

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा, दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया, उसने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजना शुरू कर दिया और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा गया था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।

प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर बनाई गयी है। इसके बाद भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन विजय’ नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। ‘ऑपरेशन विजय’ 8 मई से शुरू होकर 26 जुलाई तक चला था। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे, जिसके बावजूद भारत ने इस युद्ध में जीत हासिल की थी। इस युद्ध में अमर शहीद जवानों को नमन करने के लिए उसके बाद से 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा।

21 वें ‘कारगिल विजय दिवस’ पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा ने देहरादून में गाँधी पार्क स्थित कारगिल शहीद स्मारक पहुँचकर कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर अमर जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान विधायक धर्मपुर विनोद चमोली, विधायक राजपुर खजान दास, विधायक मसूरी गणेश जोशी, विधायक कैंट हरबंस कपूर, प्रदेश एवं जिले के उच्च अधिकारीगण एवं हम सबकी शान भारतीय सेना के जवान उपस्थित रहे।

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