मनुष्य जीवन में जन्म से ही कई प्रकार की समस्याओं से घिरता जाता है। जन्म के बाद होश संभालते-संभालते बच्चा जैसे ही बड़ा होता है तो उसे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने जीवन में आगे बढ़ने का लक्ष्य भी तरासना पड़ता है और जब उसे लक्ष्य मिल जाता है तो वह अपना पूरा समय उस लक्ष्य को प्राप्त करने में लगा देता है। वह यह नहीं देख पाता कि उसके जीवन में लगातार काम करने का क्या असर हो रहा है लगातार काम में व्यस्त रहने से अपने स्वास्थ का ध्यान नहीं दिया जाता है और मनुष्य को कई प्रकार की बीमारियाॅ लग जाती है। इसलिये मनुष्य को अपने काम के साथ-साथ अपने स्वास्थ का भी ध्यान देना अति आवश्यक होता है। इसके लिये मनुष्य यदि नियमित रूप से आधा या एक घंटा भी योगा करता है तो वह जीवन में आने वाली कई बीमारियों से बच सकता है।
योग के गुरूओं का मानना है कि योग में अनेक लाभ छुपे हुये हैं। नियमित योग करने से लाइजाज बीमारियों का भी हल हो सकता है। वर्तमान समय में मानव कई प्रकार के मानसिक तनाव से ग्रसित रहता है, जिससे वह कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों से घिरता जाता है। कभी-कभी ये बीमारियाॅ इतनी बढ़ जाती है कि इनका इलाज भी संभव नहीं हो पाता है, तब योग एक औषधि के रूप में कार्य करता है। योग का केंद्रीय बिंदु ध्यान एवं श्वसन क्रिया को माना जाता है, यह दोनों ही चीजें हमारे मन व चित्त को स्थिर कर हमें शांति प्रदान करती हैं। इस बात को आज डाॅक्टर भी मान चुके हैं कि योग के माध्यम से मन शांत रहता है और शरीर में रक्त प्रवाह ठीक प्रकार से होता है जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। आज डाॅक्टर भी कई बीमारियों के इलाज के लिये योग करने की सलाह ही देते हैं। अगर हम ज्यादा योग न कर सकें तो सिर्फ प्राणायाम करने से ही हमें मन की शांति मिलेगी और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होगा। योग करने से मनुष्य का ध्यान भी एक ही जगह पर एकाग्र रहता है, उसका मन बिल्कुल भी विचलित नहीं होता है और वह किसी भी कार्य को बड़े ही एकाग्रता के साथ करता है।
योग की विभिन्न मुद्रायें और आसन हमारे शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं। योग के नियमित अभ्यास से माँसपेशियों में विभिन्न प्रकार के तनाव, दबाव और खिंचाव का अनुभव होता है, तब हमारी माँसपेशियाँ मजबूत होने लगती हैं। नियमित योग करने से शरीर में लचीलापन आता है, जिससे चोट लगने की संभावना कम हो जाती है। जब हमारी माँसपेशियाँ मजबूत होती हैं और हमारी सेहत सुधरती है तो शरीर के जोड़ भी मजबूत हो जाते हैं। जैसे-जैसे जोड़ को बांधनेवाले लिगामेंटस या तत्व मजबूत होने लगते हैं, वैसे-वैसे जोड़ों का दर्द भी गायब हो जाता है। यदि हमारा शरीर स्वस्थ रहता है तो शरीर में स्वस्थ मन का भी वास होता है, जिससे हम पूर्ण रूप से प्रसन्न रहते हैं, तब हमारे शरीर में रक्त संचार ब़ढ़ जाता है, और शरीर से विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं, तथा हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। नियमित योग करने से मनुष्य तनाव मुक्त रहता है और चित्त शांत होने से नींद भी अच्छी आती है। अच्छी नींद हमें मानसिक और शारीरिक रूप से चुस्त और तंदुरूस्त बनाती है।
नियमित प्राणायाम करने से शरीर स्वस्थ रहता है और फेफड़ों में ऑक्सीजन लेने की क्षमता भी बढ़ जाती है। इस तरह से एक सामान्य स्थिति में हम जितनी मात्रा में सांस अन्दर नहीं लेते, उतनी प्राणायाम के समय लेते हैं। योग एक ऐसा व्यायाम है जिससे हमारी जीवनशैली बेहतर बनती है और हमें निरोग और दवाओं से भी मुक्त करता है। इसलिये हमें नियमित रूप से योग करना चाहिये। योग साधारण कसरत से बहुत अलग होता है। योगासन को कसरत या व्यायाम कहना भी एक तरह से गलत ही होगा, क्योंकि योग का मुख्य उद्देश्य माँसपेशियों को मजबूत करना ही नहीं होता है, बल्कि इसका उद्देश्य तनाव और अन्य शारीरिक समस्याओं को दूर करना भी होता है। योग करने के लिये हमें आत्मविश्वास और इसके साथ ही कुछ नियम औरअनुशासन का भी निरन्तर पालन करना आवश्यक होता है। योग करने के लिये यह जरूरी है कि आप एक निश्चित समय चुन लें और रोजाना उसी समय योग करें। सुबह जल्दी उठकर, दोपहर में भोजन खाने से पहले या फिर शाम को योग कर सकते हैं। आमतौर पर सुबह के समय योग करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, क्योंकि उस समय हम और हमारे आस-पास का वातावरण शांत और शुद्ध होता है। सुबह के समय हमारे अंदर ऊर्जा शक्ति भी ज्यादा होती है, इसलिये सुबह योग करने से पूरे दिन वैसी ही ऊर्जा बनी रहती है और दिनभर हम सक्रिय रूप से कार्य भी कर सकते हैं।
योग करने के लिये एक सही स्थान का चयन कर लें जहाँ पर शांति हो और चटाई बिछाकर योग किया जा सके। यह जरूरी है कि वह स्थान हवादार और स्वच्छ होना चाहिये। कभी भी योग को फर्श पर या जमीन में नहीं करना चाहिये। हमेशा चटाई या कोई भी स्वच्छ कपड़े को जमीन पर बिछाकर उस पर बैठकर ही योग करें। अगर योग सुबह के समय में किया जाता है तो चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखना चाहिये और शाम को करते हैं तो पश्चिम या दक्षिण दिशा की तरफ चेहरा होना जरूरी है। कभी भी योग खाने के तुरन्त बाद न करें, ऐसा करना बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है। योग हमेशा किसी शांत स्थान पर करना चाहिये और योग करते समय किसी से भी बातचीत नहीं करनी चाहिये। इससे हमारा ध्यान एकाग्र नहीं हो पाता है। जब हम पहली बार योग करते हैं तो अक्सर हमारे मन में यह ख्याल आत है कि अगर मैं जल्दी-जल्दी योग करूंगा तो उतना ही जल्दी मुझे फायदा होगा, लेकिन यह गलत है। व्यक्ति को योग करते समय संयम और धीरज रखना चाहिये, कयोंकि हर व्यक्ति की क्षमता अलग-अलग होती है, और उसके ही हिसाब से योग कर पाता है। इसलिये अगर संयम के साथ योग करेंगे तो हमेशा नई तरह की योग मुद्रायें सीखने को मिलेंगी जिससे सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
योग करते समय श्वांस का ख्याल रखना भी जरूरी है। योग करते समय कभी भी मुँह से श्वांस नहीं लेनी चाहिये। श्वांस की प्रक्रिया को नियंत्रित किये बिना कोई भी योग-आसन करना अधूरा ही रह जाता है। मुँह से श्वांस लेना बहुत ही हानिकारक होता है। इसलिये हमेशा योग करते समय श्वांस नाक से ही लेनी चाहिये। यदि हम एक नियम के अनुसार रोजाना योग करते हैं तो यह निश्चित है कि कई लाइलाज बीमारियाँ अपने-आप दूर हो जाती हैं। इसलिये योग हमारे जीवन के लिये आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। इसलिये नियमित योग करें और स्वस्थ रहें।