MY BHARAT TIMES. जीवन में मनुष्य को हर पल खुश रहकर अपने काम को करना चाहिये, जिससे उसके स्वास्थय में भी वृद्धि होती है। हँसी जीवन में स्वस्थ रहने का वह खजाना है जो हम सभी के पास होता है, लेकिन हम उसका उपयोग नहीं कर पाते है। आज के समय में लोगों के पास इतना भी समय नहीं है कि वह कुछ पल भी हँस पायें। मनुष्य के जीवन में काम बढ़ने के साथ-साथ तनाव भी बढ़ता जा रहा है। लोग हँसना भी भूल चुके हैं, हमेशा तनाव में रहने से आज के इस दौर में बीमारियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। आज यदि हम समाज में यह ध्यान दें कि किस कारण से ज्यादा लोग बीमार हो रहे हैं, उसका एक ही कारण सामने आयेगा और वह है ‘ तनाव ’। तनाव अर्थात काम के कारण होने वाला तनाव, घर की समस्याओं के कारण होने वाला तनाव, कार्यालय के काम को लेकर तनाव या फिर कुछ और तनाव ही क्यों न हो सभी मनुश्य के लिये हानिकारक होते हैं। तनाव के कारण लोग बीमार हो रहे है, और अपनी पूरे महीनेभर की मेहनत की कमाई इलाज में खर्च कर रहे हैं। आज के समय में लोग क्यों नहीं हँस पाते हैं, इसका कारण यह है कि वह खुश ही नहीं हैं और उनके चारों तरफ नकरात्मकता फैली हुई है। लोग अपने व्यक्तिगत कार्यों में बंध चुके हैं और सिर्फ भौतिक संसाधनों में ही ख़ुशी की तलाश कर रहे हैं, इस तरह की चीजों से मिलने वाली ख़ुशी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाती है। कुछ समय खुश रहने के बाद फिर से हम तनावग्रस्त हो जाते हैं, फिर से वही पुराने हाल में नजर आते हैं। वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है कि हँसी अर्थात यदि मनुष्य खुश रहता है तो वह बहुत कम बीमारियों की चपेट में आता है और ज्यादातर स्वस्थ रहता है। हमें जीवन में अच्छे स्वास्थय की आवश्यकता है, क्योंकि यह जीवन एक बार ही मिलता है और इसमें भी यदि हम अपने जीवन को दुःखों में झोंक देंगे तो हमारा जीना व्यर्थ जायेगा। आज हम जिस हँसी को भूल चुके हैं, उसे फिर से जीवन में लाकर अपने दुःखों को कम कर सकते हैं। हँसने के भी दो तरीके होते हैं, एक तो छोटे बच्चों की तरह और एक बड़े लोगों की तरह। हमें छोटे बच्चों की तरह हँसने की आवश्यकता है। दिन में जितना ज्यादा हो सके खुश रहना चाहिये । हम जितना ज्यादा हँसेंगे उतना ही हमारा स्वास्थय अच्छा रहेगा। बच्चों वाली हँसी से जीवन में बहुत से लाभ मिलते हैं, हमने अक्सर देखा है कि बच्चे ज्यादातर खुश रहकर ही हर काम को करते हैं। यदि वह खेलते भी हैं तो हँसते हुये खेलते हैं, बच्चों की हँसने से उनके पेट पर भी बल पड़ने लगता है, उस समय बच्चे सही या गलत को ध्यान में रखकर नहीं हँसते हैं, इसलिये उस हँसी का बच्चों के स्वास्थय पर अच्छा असर देखने को मिलता है। एक हँसी बडे लोगों की होती है, जो कि सोच-समझकर हँसते हैं, वह ध्यान में रखते हैं, कि कौन सी बात पर हँसना है और कौन सी बात पर नहीं हँसना, उसके बाद ही तय करते हैं कि हँसें या नहीं। यह हँसी पेट से आयी हुई हँसी नहीं होती है और यह कुछ पल में ही समाप्त हो जाती है। आज हम बच्चों की तरह हँसना भूल गये हैं, हमें बच्चों को देखकर खुश रहने की कला सीखने की आवश्यकता है। आज हम अपने काम को लेकर जितने ज्यादा गंभीर होते जा रहे हैं, उतने ही हमारे हँसने के मौके कम होते जा रहे हैं, आज हम बहुत कम मौकों पर परिवार के साथ एकत्रित होते हैं, और तभी जाकर कुछ पलों के लिये हँस पाते हैं, यह ख़ुशी कुछ पल ही रह पाती है, हमें जीवन के प्रत्येक दिन को ख़ुशी से जीना चाहिये, ताकि आने वाले दुःखों का अहसास ही न हो पाये। आज लोगों को खुश रहने के लिये भी योग का सहारा लेने की आवश्यकता पड़ रही है, जिसे लाफ्टर योग भी कहा जाता है, जिसमें बिना किसी वजह के ही लोगों को हँसना होता है। इसे लाफ्टर योग इसलिये भी कहा जाता है क्योंकि इतना हँसने वाले व्यक्ति को योग के श्वसन और स्टेचिंग अभ्यास से भी जोड़ा गया है। इससे हमारे शरीर और मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन मिलती है और व्यक्ति अधिक ऊर्जावान हो जाता है। आज के समय में टीवी में भी कई सीरियल लोगों को हँसाने के लिये चलाये जा रहे हैं, जिनसे लोगों के चेहरे पर कुछ समय के लिये ख़ुशी नजर आती है। यदि हम दिल खोलकर हँसते हैं, तो हमें शारीरिक अकड़न और तनाव से मुक्ति मिल जाती है। अक्सर जब जिंदगी में अच्छे पल या अच्छी चीजों से सामना होता है तो हम हँसते हैं लेकिन जब बदलावों से रूबरू होते हैं तो हम हँसना भूल जाते है, ऐसे समय में हँसाने वाले सीरियल, चुटकुले आदि का सहारा लेना चाहिये उससे हमारे मन में सकारात्मक विचार आते हैं और हम ख़ुशी का अहसास करते हैं। जीवन में हँसने के लिये किसी भी प्रकार के मौके की तलाश में नहीं रहना चाहिये, सदैव हँसते हुये कार्य को अंजाम देना चाहिये, क्योंकि यदि हम हँसने के मौके की तलाश करते हैं तो वह मौका बहुत कम आता है। यदि हम हँसी को अपनी किस्मत पर छोड़ देंगे तो कभी भी नहीं हँस पायेंगे। जिंदगी में हर दम खुश रहना चाहिये, चाहे ख़ुशी हो या गम हमें अपने चेहरे पर ख़ुशी ही प्रदर्शित करनी चाहिए।
यदि हम किसी भी दिन जीवन में बिना हँसे पूरा दिन निकाल देते हैं तो वह दिन हमारे जीवन का व्यर्थ दिन माना जाता है। विश्व के महान हास्य कलाकारों में से एक चार्ली चैप्लिन ने कहा था, ‘ अ डे विदाउट लाफ्टर इज अ डे वेस्टेड़’ अर्थात हम यदि किसी भी दिन बिना हँसे रहते हैं, तो वह दिन हमारे जीवन का व्यर्थ दिन होता है। हँसी से शरीर में उत्पन्न होने वाले ख़ुशी के हार्मोन्स में डोपामाइन, ऑक्सीजन , सिरोटिनिन तथा एंडोर्फिन शरीर में सकारात्मकता का उत्सर्जन कर नकारात्मकता को दूर करते हैं। शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। इसलिये जीवन में हँसी एक प्रकार से बीमारियों के लिये मुफ्त दवा का काम भी करती है। जीवन में हमेशा खुश रहकर अपने प्रत्येक दिन को खुशनुमा बनाने के लिये हमेशा हँसते रहना चाहिये, जिससे हमारा शरीर भी स्वस्थ रहेगा और आपस में भी लोगों के साथ अच्छा व्यवहार बना रहेगा। परिवार व समाज में मिलजुलकर रहने के लिये भी खुश रहने की आवश्यकता होती है, यदि हम हँसते हुये सभी लोगों के साथ रहेंगे तो हमारे साथ भी सभी को रहने का मन करेगा और जो लोग हमारे साथ रहेंगे वह भी खुश रहेंगे तथा हमारे साथ-साथ उनका भी स्वास्थय अच्छा रहेगा, इसी प्रकार से यदि हम एक-दूसरे को इस ख़ुशी के माहौल में जोड़ते रहेंगे तो हम कई लोगों को ख़ुशी दे पायेंगे और कई लोगों के दुःखों को भुलाने में भी हम सहायक हो पायेंगे। जीवन में अपने चेहरे पर ख़ुशी लेन के कई तरीके होते हैं, लेकिन हम उनको समझ नहीं पाते हैं, हमें अपने जीवन में उन पलों को खोजने का प्रयास करना होगा जो की ख़ुशी दे पाएंगे। हमें उन पलों को याद करके नहीं जीना होगा जो कि हमारे जीवन को दुखों से भर देते हों। जीवन में अपने मन को विचिलित कभी भी नहीं करना चाहिए, यदि हम अपने मन को स्थिर कर पाएंगे तो हम अपने-आप को व आस-पास के लोगों को भी खुश रख पाएंगे, इसलिए जीवन को ख़ुशी से जीने का प्रयास करने के साथ-साथ अन्य लोगों को भी खुश रखने का प्रयास अवश्य करें।