भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डॉ० के० सिवन को इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स के 2020 वॉन कर्मन अवॉर्ड के लिए चुना गया

MY BHARAT TIMES, कैलासवटिवु सिवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को भारत के तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी जिले में नागरकोइल के पास मेला सरक्कलविलाई में हुआ था। उनके माता-पिता कैलासावदीवुनादार और चेलमल्ल हैं। सिवन को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए क्रायोजेनिक इंजन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। इसरो के प्रमुख डॉ० के० सिवन, इसरो के प्रमुख बनने से पहले विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तथा द्रव प्रणोदन केन्द्र के निदेशक रह चुके हैं। डॉ० के० सिवन को इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स के 2020 वॉन कर्मन अवॉर्ड के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार है। डॉ० के० सिवन को इससे पहले भी कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, सिवन को 1999 में डॉ० विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 2007 में उन्हें इसरो मेरिट अवॉर्ड से नवाजा गया, 2011 में डॉ० बीरेन रॉय स्पेस साइंस अवॉर्ड और अप्रैल 2014 में चेन्नई की सत्यभामा यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि से सम्मानित किया गया। 28 अप्रैल 2019 को पंजाब यूनिवर्सिटी के कॉन्वोकेशन में उपराष्ट्रपति वैंकया नायडु ने उन्हें ‘विज्ञान रत्न’ से सम्मानित किया। 2019 में तमिलनाडु सरकार ने उन्हें डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम अवॉर्ड से सम्मानित किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र द्वारा चाँद पर जाने के प्रयासों में सिवन की अहम भूमिका रही है, पिछले साल जब 7 सितम्बर की रात को लैंडर विक्रम अपने लक्ष्य से भटक गया था तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में सन्नाटा पसरा था, इसरो के प्रमुख अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए थे। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहीँ पर मौजूद थे और उन्होंने इसरो प्रमुख डॉ० के० सिवन को उस निराशा से बाहर निकलने के साथ-साथ उन्हें आस्वस्थ कराते हुए कहा की हम अभी हारे नहीं हैं हमारे हौंसले बुलंद हैं, हमें इससे सीख मिली है और हौंसले और भी अधिक बुलंद हुए हैं। सिवन ने 12 जनवरी 2015 को डॉ० एएस किरण का स्थान लिया और 2018 में इसरो के चीफ बने। उसके बाद उन्होंने विज्ञान को एक विशेष ऊँचाई पर पहुँचाया और अब उन्हें इस विशेष सम्मान के लिए चुना गया है।
मार्च 2021, पेरिस में उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इससे पहले चार्ल्स इलाची को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ये अवॉर्ड थियोडोर वॉन कर्मन के नाम पर रखा गया था, जो एक एयरोस्पेस इंजीनियर थे और विशेष रूप से वायुगतिकी (aerodynamics) में अपनी प्रमुख प्रगति के लिए जाने जाते थे। इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्सकी स्थापना भी वॉन कर्मन द्वारा की गई थी। जो संगठन के पहले अध्यक्ष भी थे। जो अंतरिक्ष में सीमाओं का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। वॉन कर्मन पुरस्कार 1982 में स्थापित किया गया था और यह अकादमी का प्रमुख पुरस्कार है। इस पुरस्कार को प्रत्येक वर्ष दिया जाता है।

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