भारत और अमेरिका को आपसी सहयोग कायम रखना होगा, चीन से चली महामारी का एकजुट होकर मुकाबला किया जा सके

MY BHARAT TIMES, भारत और अमेरिका विश्व के बड़े लोकतांत्रिक देश हैं। दोनों देशों की आपसी साझेदारी वैश्विक मूल्यों पर आधारित है। पिछले कुछ वर्षों में भारत अमेरिकी संबंध ने एक नया आयाम प्राप्त किया है, चाहे वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग हो या वैश्विक एवं क्षेत्रीय रक्षा सहयोग में व्यापक भागीदारी का विषय हो। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत अमेरिकी संबंधों में अच्छे समीकरण देखने को मिले हैं। हालांकि अमेरिका द्वारा वैक्सीन के लिए कच्चे माल की आर्पूित करने में देरी से लिए गए निर्णय ने एक शंका उत्पन्न की थी, परंतु अब यह मामला काफी हद तक सुलझ गया है।

आज संपूर्ण विश्व एक चिकित्सीय आपातकाल से जूझ रहा है। कोरोना की पहली लहर ने 2020 में अमेरिका, रूस, भारत, ब्रिटेन, इटली, ब्राजील सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका के देशों को बुरी तरह प्रभावित किया था, जिसमे सबसे अधिक मृत्यु अमेरिका में हुई। कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में कई गंभीर चुनौतियां खड़ी की है। इस महामारी ने विकसित से लेकर अल्पविकसित देशों की राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था तथा संस्कृति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। यह वैश्विक महामारी विश्व-व्यवस्था तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को नए आयाम के तरफ तेजी से मोड़ रही है।

शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ऐसी आशा थी कि सुरक्षा और स्थिरता के स्थायी युग का आरंभ होगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय नई राजनीतिक समस्याएं और सुरक्षा चुनौतियां बढ़ने लगीं। आतंकवाद, व्यापारिक हितों का टकराव, जलवायु परिवर्तन जैसे कई चुनौतीपूर्ण मुद्दे देशों के सामने आए, परंतु शीत युद्ध काल के वैचारिक विभाजन ने ऐसे गंभीर वैश्विक मुद्दों पर भी आम सहमति बनने में संकट खड़ा किया। भारत और अमेरिका के लिए इन सभी अनिश्चितताओं के बीच आम सहमति और सहयोग पर आधारित बहुलता और समानता के ढांचे के भीतर वैश्विक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को आकार देने के लिए व्यापक सहयोग का एक अवसर प्राप्त हुआ।

पिछले वर्ष कोरोना की पहली लहर में भारत ने संकटपूर्ण स्थिति से न सिर्फ अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा की, बल्कि विश्व में अमेरिका-यूरोप सहित कई देशों को हाइड्रोक्लोरोक्वीन टैबलेट, पीपीई किट, चिकित्सीय उपकरण तथा कुछ देशों के चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षित भी किया। आज विश्व में भारतीय वैक्सीन की मांग अत्यधिक है तथा आपूर्ति के लिए आवश्यक कच्चे माल के निर्यात पर अब अमेरिका ने अपने देश में लगी पाबंदी भी हटा ली है। हालांकि प्रारंभ में अमेरिका ने ‘रक्षा उत्पादन अधिनियम’ के तहत वस्तुओं के निर्यात को नियंत्रित किया था तथा अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस द्वारा अपने इस नीति का बचाव करते हुए यह बयान दिया गया कि भारत अपने टीकाकरण अभियान को धीमा करे, क्योंकि बाइडन प्रशासन का पहला दायित्व अमेरिकी लोगों की आवश्यकताओं का ध्यान रखना है।

कोरोना वैश्विक महामारी के परिप्रेक्ष्य में हेल्थकेयर सहयोग अमेरिका-भारत संबंधों का एक और महत्वपूर्ण रणनीतिक आयाम साबित हो रहा है। हालांकि बौद्धिक संपदा संरक्षण और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों में असहमति रही है। वर्तमान में यह लगभग निश्चित हो चुका है कि कोविड वैश्विक महामारी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाने जा रही है, ठीक वैसे ही जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात हुआ था। आज भारत और अमेरिका दोनों देशों को चीन की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड के अंतर्गत दोनों देशों के बीच सहयोग इस क्षेत्र में बड़ा भू-राजनैतिक एवं भू-आर्थिक बदलाव लायेगा।

ऐसी आशंका है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाली नाटो सेना की वापसी के पश्चात अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पुन: उभर सकता है, भारत इसे क्षेत्रीय सुरक्षा की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मानता है। अफगानिस्तान से वापसी के पश्चात अमेरिका का आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध अभियान का अंत नहीं होना चाहिए, अपितु भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदार के साथ मिलकर वैश्विक शांति के लिए प्रयासरत रहना पड़ेगा। उम्मीद है कि पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों की तरह राष्ट्रपति जो बाइडन भी भारत के साथ आपसी साझेदारी को मजबूत करेंगे और आपसी विश्वास को कायम रखेंगे। बाइडन प्रशासन के 100 दिनों के कार्यकाल के पश्चात उन्होंने अपने संबोधन में भारत को एक महत्वपूर्ण साझीदार माना तथा रक्षा, व्यापार, जलवायु परिवर्तन एवं कोरोना वैश्विक महामारी पर व्यापक सहयोग की उम्मीद जताई।

हालांकि भारत द्वारा निरंतर अनुरोध करने पर वैक्सीन में उपयोगी कच्चे माल की सामग्री के निर्यात पर अस्थायी रूप से लगाई गई अमेरिकी पाबंदी को पिछले सप्ताह ही खत्म करने की घोषणा तो की गई, लेकिन अभी तक अमेरिका से इन सामग्रियों का निर्यात बहुत धीमी गति से किया जा रहा है। इसमें तेजी लाए बिना भारत में कोरोना रोधी टीकों के निर्माण कार्य को तेज करना मुश्किल होगा। आज दोनों ही देश कई समान चुनौतियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार भी अमेरिका के साथ अपने संबंध मजबूत करने पर विशेष बल देगें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *