माँ गंगा के धरती पर अवतरण के दिवस पर मनाया जाने वाला पर्व ‘गंगा दशहरा’ के अवसर पर विशेष : ——

MY BHARAT TIMES,DEHRADUN. गंगा दशहरा माता गंगा के धरती पर आने के शुभ उपलक्ष्य पर मनाया जाता है। गंगा दशहरा का पर्व अधिकतर कुमाऊँ क्षेत्र में मनाया जाता है लेकिन इसके अलावा भी देश के कुछ हिस्सों में यह पर्व मनाया जाता है। गंगा का धरती पर अवतरण दिवस ज्येष्ठ शुक्ल दशमी 1 जून को हुआ । धार्मिक ग्रंथों में गंगा दशहरा का आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व बताया गया है। इस दिवस पर गंगा स्नान व दान का खास महत्व है। गंगा स्नान से दस तरह के पापोंं से मुक्ति की भी बात धर्मग्रंथों में कही गयी है। मान्यता है कि इसी दिवस पर रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इस बार गंगा दशहरा पर सिद्धि और रवियोग नाम की शुभ योग बन रहा है। पुराणों में कहा गया कि जिस दिन गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था उस दिन 10 महाशुभयोग का निर्माण हुआ था। जिसमें ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर और आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ राशि में सूर्य था। इस तिथि पर दस प्रकार के शुभ योगों से गंगा दशहरा पर मां गंगा का अवतरण हुआ था। ऐसे में गंगा दशहरा पर शुभ योग में दान जरूर करना चाहिए। गंगा दशहरा पर शुभ कार्य करने पर कार्यों में किसी भी तरह की कोई भी बाधा नहीं आती और कार्य शुभ फलदायी होता है। गंगा दशहरा पर राशि के अनुसार दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा के दिन लोग गंगा के साथ ही अन्य पवित्र मणि जाने वाली नदियों में स्नान करके गंगा की पूजा करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन गंगा भगीरथ के दस हजार पुरखों का तारणहार बनकर भू लोक में अवतरित हुई थी। इस दिन गंगा का धरती पर अवतरण होने के कारण लोगों का कल्याण हुवा जिसके बाद लोगों ने गंगा का आभार व्यक्त करने के लिए इस दिन को पवित्र मानकर उनकी पूजा का दिन बना दिया और इस दिन सभी लोग गंगा में खुद स्नान करने के उपरांत स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने के उपरांत गंगा स्त्रोत का पाठ भी अवश्य करना चाहिए, ऐसा करने के मनुष्य के अंदर सद्गुण और अच्छे विचारों का समावेश हो जाता है। गंगा दशहरा का उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में विशेष महत्व है, यहाँ के लोक जीवन में गंगा को प्राकृतिक आपदाओं और आकाशीय बिजली से बचने वाला भी बताया गया है। यहाँ पर यह भी मान्यता है की इसको द्वार पर लगाने से चोर, डाकुओं आदि का भी भय नहीं रहता है। गंगा दशहरा के दिन यहाँ पर द्वार पर एक पत्र लगाया जाता है, जिसे ‘गंगा दशहरा द्वार पत्र’ कहा जाता है। पहले यह द्वार पत्र हस्त निर्मित होते थे लेकिन अब समय के बदलने के साथ ही यह भी मशीनों से बनने लगे हैं।

जीवनदायिनी माँ गंगा के धरती पर अवतरण के पावन पर्व “गंगा दशहरा” की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं—– मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावत
देवि! सुरेश्वरि! भगवति! गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे।
शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले॥

गंगा दशहरा के इस शुभ दिन पर देहरादून के मेयर ‘सुनील उनियाल गामा’ ने भी समस्त प्रदेशवासियों को गंगा दशहरा की शुभकामनायें दी और इस उपलक्ष्य में सभी को संकल्प लेने को कहा की हम सभी मिलकर गंगा जी को स्वच्छ एवं निर्मल बनायें।

“आप सभी को सपरिवार “गंगा दशहरा” के पावन पर्व कीहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
आईये, मोक्षदायिनी माँ गंगा जी के पृथ्वी पर अवतरण के इस उत्सव पर गंगा जी को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने का संकल्प लें”—– मेयर सुनील उनियाल गामा

“जीवनदायिनी, मोक्षदायिनी माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के पावन पर्व श्री गंगा दशहरा की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ”—– बंशीधर भगत

पुण्यसलिला, पापनाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी, राष्ट्र नदी, भगवती भागीरथी माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस, दान एवं स्नान के महापर्व, “गंगा दशहरा” की सभी जनों को कोटि-कोटि शुभकामनाएं। माँ गंगा हम सबका कल्याण करें और उनका आशीर्वाद समस्त जगत को निरंतर प्राप्त होता रहे, ऐसी कामना है।
पतित पावनी के अवतरण दिवस पर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ के पालन का संकल्प “आचमन” समान पुण्य लाभ से अभिसिंचित करेगा तथा माँ गंगा का आशीर्वाद इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी होगा—– योगी आदित्यनाथ

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