उत्तराखंड में बिना लक्षण वाले (एसिम्टोमैटिक) कोरोना के मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की छूट मिलने से प्रशासन की टेंशन बढ़ गई है। वजह यह कि दिल्ली में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें कोरोना पॉजिटिव एसिम्टोमैटिक मरीजों की खून में ऑक्सीजन की कमी होने से अचानक मौत हो गई। इस स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने अपील जारी की है कि जो व्यक्ति होम आइसोलेशन या होम क्वारंटाइन में हैं, वह सांस लेने में हल्की दिक्कत को भी नजरंदाज न करें।
बता दें कि सिर्फ 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों, गर्भवती महिलाओं और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों समेत गंभीर बीमारी से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए होम आइसोलेशन की छूट नहीं है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि जिन व्यक्तियों में किसी तरह के लक्षण नहीं हैं, वह सांस संबंधी हल्की तकलीफ को भी नजरंदाज कर रहे हैं। इसे सामान्य माना जा रहा है, जबकि इस तरह की दिक्कत बताती है कि खून में ऑक्सीजन का स्तर घट रहा है। यह स्तर कभी भी बेहद तेजी से नीचे जा सकता है और मौत का कारण बन सकता है। बेहतरी इसी में है कि हल्की तकलीफ होने पर भी चिकित्सीय मदद मांग ली जाए
घर पर रख सकते हैं ऑक्सीमीटर
होम आइसोलेशन या क्वारंटाइन में रह रहे व्यक्ति घर पर ऑक्सीमीटर रख सकते हैं। इससे एसपीओ-2 (सेचुरेशन ऑफ पेरीफेरल ऑक्सीजन) का स्तर मापा जा सकता है। यदि इसका स्तर 95 से कम आ रहा है तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेने की जरूरत है। ऑक्सीमीटर के क्लिप वाले भाग को हाथ या पैर की किसी भी अंगुली या कान पर चिपकाकर खून में ऑक्सीजन के स्तर को मापा जा सकता है।
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