पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि पर विशेष : अपने शालीन स्वभाव और कविताओं तथा अपने सरस भाषणों के माध्यम से देशवासियों के लिए प्रेरक बने ‘अटल बिहारी वाजपेयी’

MY BHARAT TIMES, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज दूसरी पुण्यतिथि है। साल 2018 में एक लंबी बीमारी से जूझने के बाद 93 वर्ष की उम्र में उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली थी।अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया। इस दौरान उन्होंने अपने भाषणों से सबको हिलाकर रख दिया। वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्तूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी को हिंदी भाषा से काफी लगाव था। इस लगाव का असर उस वक्त भी देखा जा सकता था, जब 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर सभी के दिल में हिंदी भाषा का गहरा प्रभाव छोड़ दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी जिस वक्त देश के प्रधानमंत्री बने थे, उस समय संसद में विश्वास मत के दौरान उन्होंने बहुत प्रभावी भाषण दिया था। उन्होंने सदन में भारतीय जनता पार्टी को व्यापक समर्थन हासिल नहीं होने के आरोपों को लेकर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि ये कोई आकस्मिक चमत्कार नहीं है कि हमें इतने वोट मिल गए हैं। ये हमारी 40 साल की मेहनत का नतीजा है। हम लोगों के बीच गए हैं और हमने मेहनत की है। हमारी 365 दिन चलने वाली पार्टी है, ये चुनाव में कोई कुकुरमुत्ते की तरह पैदा होने वाली पार्टी नहीं है। उन्होंने कहा था कि आज हमें सिर्फ इसलिए कटघरे में खड़ा कर दिया गया क्योंकि हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला पाए। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया था, जिसके बाद पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक की नींद उड़ गई थी। इस परीक्षण को रोकने के लिए अमेरिका ने भारत पर नजर रखी थी, लेकिन सबको मात देते हुए भारत ने यह कर दिखाया। इस पर वाजपेयी का दिया भाषण ऐतिहासिक साबित हुआ था। पूरा देश अटल बिहारी वाजपेयी को अब तक के सबसे बेहतर प्रधानमंत्रियों में से एक मानता है और देश के लिए उनके द्वारा किए गए कामों को हमेशा याद करता है। उन्होंने 15 अगस्त 2003 को लाल किले की प्राचीर से अपना अंतिम भाषण दिया था, उनके भाषण के कुछ अंश इस तरह हैं —–

  • पिछले साल देश में सूखा रहा, हमने सभी सूखाग्रत्स इलाकों को प्रयाप्त मदद दी और पर्याप्त अन्न भेजा, किसानों को बधाई जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से देश के अन्न के भंडार भर दिए, आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। सभी, वैज्ञानिकों, शिक्षकों, साहित्यकारों और कलाकारों तथा बच्चों को इसके लिए बधाई।
  • सभी प्रवासी भारतीयों का अभिनंदन, विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने में उनका उल्लेखनीय योगदान है, हमें उन पर गर्व है। स्वतंत्रता के संघर्ष में इस महान भारत का सपना हमने देखा था, कुछ साकार हुआ है और कुछ होना बाकी है, राष्ट्र की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है। इसलिए 5 साल पहले हमारी सरकार ने जो पहला काम किया वह ‘अणु परीक्षण’ था। भारत को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से अधिक शक्तिशाली बनाने की जरूरत है।
  • पिछले कुछ सालों में देश ने जो प्रगति की है उसने मुझे नई आशा और विश्वास दिया है, कर्ज लेने वाला भारत आज कर्ज दे रहा है, हमेशा विदेशी मुद्रा की कमी झेलने वाले भारत ने आज 100 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा कमा ली है। जरूरत की चीजों की कीमतें काबू में और बाजार में किसी चीज का अभाव नहीं है, गरीबी घट रही है और तेजी से घटाने का हमारा संकल्प है।
  • आजादी के 50 साल बाद भी लगभग 2 लाख गांव ऐसे थे जिनमें सड़कें नहीं पहुंची थी, हमारी सरकार ने पहली बार इन गावों को अच्छी सड़कों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की है। आजादी के 50 सालों में सिर्फ 550 किलोमीटर के 4 लेन वाले राजमार्ग बनाए गए थे, अब हम रोजाना 11 किलोमीटर की गति से 24000 किलोमीटर सड़कें बनाएंगे। 54000 किलोमीटर की राष्ट्रीय राजमार्ग योजना पर काम शुरू हो गया है।
  • कंप्यूटर के क्षेत्र में लाखों नौजवानों को रोजगार मिले हैं। सॉफ्टवेयर का निर्यात 8000 करोड़ रुपए से बढ़कर अब 50000 करोड़ रुपए हो गया है।
  • भारत चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान भेजेगा, इसका नाम होगा चंद्रयान प्रथम ।
  • अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत देश के अत्यंत गरीब डेढ़ करोड़ परिवारों के लिए 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल के अंतर्गत हर महीने 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल हर महीने 35 किलो अनाज दिए जाने का काम हो रहा है, इतना सस्ता अनाज कभी नहीं दिया गया। यह दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना है।
  • सर्व शिक्षा अभियान के चलते अब कोई भी बालक, विषेशकर बालिकाएं अब प्राइमरी शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे, 2.5 लाख शिक्षकों की नियुक्ति इसी साल की जाएगी। प्राइमरी तक के बच्चों को दोपहर का भोजन देने का कार्यक्रम कुछ राज्यों में चल रहा है अब इसे पूरे देश में चलाने का फैसला किया है। बाद में 10वीं तक के छात्रों के लिए भी इसे लागू किया जाएगा। यह राष्ट्रीय कार्यक्रम अक्षय पात्र के नाम से चलेगा ।
  • भारत एक बहुधर्मी देश है और मजहब के आधार पर भेदभाव करना हमारी प्रकृति और संस्कृति के खिलाफ है। अल्पसंख्यकों की हिफाजत और उनकी भलाई के प्रति हमें हमेशा जागरूक रहना है।
  • महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव है। आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 10 लाख से भी ज्यादा महिला सदस्य हैं।
  • प्यारे देशवासियो आज देश ऐसे मोड़ पर है जहां से देश एक लंबी छलांग लगा सकत है, भारत को 2020 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के बड़े धेय्य को हासिल करने की तमन्ना सारे देश में बल पकड़ रही है। जरा पीछें मुड़कर देखिए, बड़े बड़े संकटों का सामना करके भारत आगे बढ़ रहा है।

कानपुर में पढ़ाई के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी कविताओं के लिए काफी प्रचलित हो गए। गर्मी के दिनों में अक्सर शाम को गंगा किनारे उनकी महफिल सजती जिसमें उनके दोस्त शामिल होते थे। सभी आजादी से जुड़े मुद्दों पर कविताएं कहते, गीत कहते और फिर वहीं व्यायाम करते थे। अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में लिखी गयी कविता, जो की आज भी लोगों की जुबान पर हमेशा रहती है :——

‘पन्द्रह अगस्त का दिन कहता, आजादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी हैं, रावी की शपथ न पूरी है॥
जिनकी लाशों पर पग धर कर, आजादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश, गम की काली बदली छाई॥
कलकत्ते के फुटपाथों पर, जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥
हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते, यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो, सभ्यता जहां कुचली जाती॥
इंसान जहां बेचा जाता, ईमान खरीदा जाता है।
इस्लाम सिसकिया भरता है, डॉलर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख़्तूनों पर, गिलगित पर है गमगीन गुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूं आजादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊं मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएंगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएंगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएं, जो खोया उसका ध्यान करें॥

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तथा अन्य केंद्र सरकार के मंत्रियों ने अटल समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ जाकर पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि अर्पित की :-

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर पूरा देश आज उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ जाकर पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि देश के विकास में आपके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। इससे पहले पीएम मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए एक वीडियो संदेश ट्वीट किया। इस वीडियो संदेश में पीएम मोदी ने कहा, ‘यह देश अटल जी के योगदान को कभी नहीं भुला सकता। उनके नेतृत्व में हमने परमाणु शक्ति में भी देश का सिर ऊपर किया। पार्टी नेता हो, संसद सदस्य हो, मंत्री हो या प्रधानमंत्री, अटल जी ने हर भूमिका में आदर्श को प्रतिष्ठित किया।’

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुण्यतिथि पर किया नमन :-

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी को याद करते हुए कहा कि “भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन। अटल जी भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के एक महान नेता थे। अटल जी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिली। उनका पूरा जीवन निर्धनों व वंचितों की सेवा के लिए समर्पित रहा। अटल जी का उत्तराखण्ड से विशेष लगाव रहा था। उत्तराखण्ड को अलग राज्य के रूप में स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, उन्होंने ही उत्तराखण्ड राज्य के गठन को मंजूरी दी थी। अटल जी ने उत्तराखण्ड को विशेष राज्य का दर्जा देते हुए विशेष औद्योगिक पैकेज भी स्वीकृत किया।अटल जी के विचार व आदर्श हमें सदैव प्रेरणा देते रहेंगे”।

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