सीएम योगी ने नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के निर्माण में अनियमितता को गंभीरता से लिया, दोषी अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश

MY BHARAT TIMES, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला दो टावरों को नियमों का उल्लंघन कर निर्माण करने के कारण गिराने का निर्देश दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसके निर्माण में अनियमितता को गंभीरता से लिया है। उन्होंने आरोपित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।

सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने बुधवार को अधिकारियों के साथ हुई उच्‍च स्‍तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में अनियमितताएं 2004 से लगातार चलती आ रही हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि शासन स्तर से विशेष जांच समिति गठित कर इस प्रकरण की गहन जांच कराई जानी चाहिए। एक-एक दोषी अधिकारी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। निर्देश दिया कि आवश्यकतानुसार आपराधिक केस भी दर्ज किया जाए। इस संबंध में तत्काल कार्रवाई शुरू की जाए।

बता दें कि नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला दो टावरों को नियमों का उल्लंघन कर निर्माण करने के कारण गिराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से घर खरीदारों को बहुत राहत मिली है। कोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा है कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के वक्त से 12 फीसद ब्याज के साथ लौटाया जाए। यह काम दो महीने में पूरा करना होगा। साथ ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दोनों टावरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये दिए जाने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने  फैसले में कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के 11 अप्रैल 2014 के फैसले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में नोएडा के सेक्टर 93 ए स्थित दोनों इमारतों, टावर एपेक्स और टावर सियेन को गिराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ साठगांठ कर किया गया है। इस बारे में हाई कोर्ट का विचार सही था। अदालत ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण ने इस मामले में यूपी अपार्टमेंट एक्ट-2010 का पालन कराने का कोई प्रयास नहीं किया। इससे घर लेने वालों के अधिकारों का बुरी तरह हनन हुआ।

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