चारधाम यात्रा : बाबा केदार की डोली पैदल मार्ग से होते हुये पहुँची अपने धाम, बुधवार ( 29 अप्रैल ) को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर केदारनाथ मंदिर के कपाट मेष लग्न में खुलेंगे

MY BHARAT TIMES, RUDRAPRAYAG. सोमवार को गौरीकुंड में मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने चल विग्रह डोली में बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना की। आरती के बाद आराध्य को भोग लगाया गया। लोगों ने अपने घरों से ही हाथ जोड़कर भगवान केदारनाथ को धाम के लिए विदा किया। सुबह 6.30 बजे बाबा की चल विग्रह डोली ने अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। गौरीकुंड तक वाहन से लाने के बाद आज बाबा केदार की डोली को पैदल ही भीमबली होते हुए केदारनाथ धाम ले जाया गया। बाबा केदार की डोली सोमवार शाम को धाम पहुंच गई है। केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है, जब बाबा की चल विग्रह डोली कपाटोद्घाटन से दो दिन पूर्व ही धाम पहुंच गई हो। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जमाणियों (डोली ले जाने वाले) के कांधों पर सवार डोली चिरबासा, जंगलचट्टी होते हुए सात किमी का सफर तय सुबह साढ़े दस बजे भीमबली पहुंची। अल्प विश्राम के उपरांत डोली भीमबली से धाम के लिए आगे बढ़ी और रामबाड़ा, छोटी लिनचोली, बड़ी लिनचोली, छानी कैंप, रुद्रा प्वाइंट होते हुए दोपहर तीन बजे अपने धाम केदारनाथ पहुँची, जहाँ पर मुख्य पुजारी द्वारा सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया। अब, डोली मंगलवार तक धाम में ही विश्राम करेगी। जबकि बुधवार केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली के साथ मंदिर समिति, प्रशासन और पुलिस के 20 से अधिक लोग धाम पहुँच गए हैं। ये लोग, बुधवार को कपाट खुलने तक धाम में ही रहेंगे। अब बुधवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर केदारनाथ मंदिर के कपाट मेष लग्न में खोले जाएंगे। इस वर्ष कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए शुरूआती दो माह यात्रा का संचालन सूक्ष्म रूप से करने की योजना बनाई गयी है। इसके बाद, मुख्य पुजारी समेत मंदिर से जुड़े गिनती के लोग ही धाम में रह सकेंगे। इस दौरान समिति द्वारा रोस्टर के तहत अपने कर्मचारी धाम में रखे जाएंगे, जिससे पूजा-अर्चना व सायंकालीन आरती की व्यवस्थाओं को नियमित किया जा सके।इस बार कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कम से कम लोग चारधाम यात्रा में शामिल हो पायेंगे।

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