माई भारत टाइम्स। होली पर्व भारत का एक प्रसिद्ध त्यौहार है, यह त्यौहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, लेकिन इसका गायन कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाता है, जो आज विश्वभर में मनाया जाता है। भारत और नेपाल में यह बड़े जोश के साथ मनाया जाता है, भारतवर्ष में ब्रज में एक महीने पहले से ही खड़ी और बैठक होली शुरू हो जाती है और उत्तराखण्ड में कुमाऊँ में 6 दिन पहले से होली शुरू हो जाती है, पहले दिन होली का गायन मंदिर से शुरू होता है और फिर पूरे छह दिन तक पूरे गाँव-मौहल्ले में घर-घर जाकर होली के गीत गाये जाते हैं, होली के गीतों से हर घर में खुशी और आनंद की कामना की जाती है और बड़े-बुजुर्गों के द्वारा होली के आशीष गीत से सभी को आशीष दिया जाता है। आज जहाँ लोग अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, और पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे देश में आज भी कुछ संस्थायें और उनसे जुड़े लोग हैं, जो हमारी संस्कृति और सभ्यता को बचाये रखने का काम कर रहे हैं। उन्हीं में से एक है-‘अपनी पहचान रंगमंच’ जो हमारे त्यौहारों को संजोने का कार्य कर रहे हैं। अपनी पहचान रंगमंच के माध्यम से सभी लोगों को अपनी संस्कृति व सभ्यता को याद रखने के लिये प्रेरित कर रहे हैं। यह संस्था हमारी धरोहर को बचाने का कार्य कर रही है और हमें भी इस संस्था से जुड़कर अपनी संस्कृति व सभ्यता को बचाने के लिये आगे आने की आवश्यकता है। इस संस्था ने इसी कड़ी में कुमाऊँनी होली को संजोने का बीड़ा उठाया हुआ है। इस संस्था से जुड़े सभी उच्च पदस्थ अधिकारी या कर्मचारी हैं, लेकिन अपनी संस्कृति को बचाने के लिये वह लोग पूरे साल अपनी छुट्टियों को बचाकर ऐसे समय में उन छुट्टियों का प्रयोग करते हैं।
अपनी पहचान रंगमंच के तत्वाधान में जोशी परिवार ने भी अपने जोशी निवास ए-192 नेहरू काॅलोनी में ‘अपनी पहचान’ संस्था के कलाकारों के साथ मिलकर होली का आयोजन किया। जोशी परिवार की ओर से आमलकी एकादशी के शुभ अवसर पर कुमाऊँनी होली का आयोजन किया गया। सबसे पहले दोपहर 12ः20 बजे श्रीमती निर्मला जोशी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूवात की। दीप प्रज्जवलन में श्रीमती निर्मला जोशी के साथ श्रीमती बबीता लोहनी शाह ने भी दीप प्रज्जवलन किया। उसके उपरान्त निर्मला जोशी के द्वारा सभी कलाकारों और अन्य उपस्थित लोगों को टीका लगाया गया और फिर उसके उपरान्त बैठक होली की शुरूवात हुई। श्री कैलाश पाठक, श्रीमती बबीता शाह, श्री मदन मोहन जोशी के साथ-साथ अन्य उपस्थित कलाकारों ने धूमधाम से बैठक होली का गायन किया। बैठक होली के बाद महिलाओं और पुरूषों ने खड़ी होली की शुरूवात की। बारिश होने के कारण खड़ी होली में कुछ समय का विलम्ब हुआ, लेकिन उसके बाद टैन्ट की व्यवस्था करने के बाद खड़ी होली का गायन जोशी निवास के बाहर बड़े ही उल्लास के साथ किया गया। खड़ी होली को देखने के लिये आस-पास के घरों से भी लोग एकत्रित हुये। सभी ने मिलकर कुमाऊँनी होली की प्रशंसा की और बड़े-बुर्जुगों ने भी इस होली का आनंद लिया। होली में कुमाऊँनी अंदाज में ही गुड़ की भेली को तोड़कर प्रसाद दिया गया। होली का गायन मंजीरा, ढोल और मृदंग की ध्वनि के बीच बड़े ही आनंद के साथ हुआ। होली गायन के बाद जोशी परिवार की ओर से प्रसाद का बंदोबस्त भी किया गया था, जिसमें पहाड़ी अंदाज में ‘आलू के गुटके, रायता और सूजी का हलवा’ अपनी पहचान रंगमंच की टीम और अन्य सभी उपस्थित सदस्यों को वितरित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनों ने कुमाऊँनी होली व प्रसाद की बहुत प्रशंसा की और जोशी परिवार के मुखिया घनश्याम चन्द्र जोशी से गुजारिश की कि वह प्रत्येक वर्ष इस तरह की होली का आयोजन करें और ‘अपनी पहचान रंगमंच’ की टीम ने भी विश्वास दिलाया की वह अगले वर्ष इससे भी ज्यादा होली का रंग जमाने का प्रयास करेंगे। होली का कार्यक्रम लगभग 2ः30 घंटे तक चला। इस अवसर पर श्रीमती बबीता लोहनी शाह, श्री मदन मोहन जोशी, श्री कैलाश पाठक व उनकी टीम के साथ ही अनेक स्थानीय लोग उपस्थित रहे।