माई भारत टाइम्स। भारतवर्ष विविधताओं का देश है, यहाॅ पर विभिन्न संस्कृतियों का समायोजन देखने को मिलता है, लेकिन हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता पर पश्चिमी संस्कृति चोट पहुॅचा रही है, जिसे रोकने की आज सख्त जरूरत नजर आ रही है। आज के समय में हमारे देश के ज्यादातर युवावर्ग पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हमारे देश में नशाखोरी जिस हद तक बढ़ चुकी है, उसका एक कारण यह पश्चिमी सभ्यता भी है, पश्चिमी सभ्यता ज्यादातर लोगों को अपनी संस्कृति को भूलने का कारण बनती जा रही है। नशाखोरी आज हमारे देश में मुख्य समस्याओं में से एक है,नशा एक ऐसी समस्या है जिसस नशा करने वाले के साथ-साथ उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है। यदि इसी प्रकार से परिवार बर्बाद होते गये तो समाज का क्या होगा, परिवारों के जुड़ने से ही समाज का निर्माण होता है, यदि परिवार ही बिखर जायेंगे तो हमारे देश का क्या होगा। आज के युवाओं में जिस तरह से नशा अपनी पकड़ बनाते जा रहा है, उससे आने वाला समय बहुत ही दुखद होगा यह साफ तौर पर देखा जा सकता है। युवा वर्ग नशे को शौक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनको वह नशा अपने आगोश में ले लेता है और उनको पता भी नहीं चलता कि कब उनको उसकी लत लग चुकी है। धीरे-धीरे उस दलदल में इस कदर डूब जाते हैं कि फिर वहाॅ से निकलने की कोशिश भी नाकाम सी लगने लगती है, फिर उनको वही सही लगता है बाकी सब गलत। यदि कोई समझाना भी चाहे तो भी वह समझना नहीं चाहते है, और धीरे-धीरे विनाश की ओर बढ़ते जाते हैं। नशे में वह सब वस्तुयें आती हैं जो दिमाग को जकड़ लेती हैं, बुद्धि को ढक देती हैं, जिससे आदमी की सोचने-समझने की षक्ति नश्ट हो जाती है और वह भले-बुरे, अपने-पराये में अंतर नहीं समझ पाता है। नशे की कुछ चीजें हैं – भांग, गांजा, चरस, अफीम, ब्राऊन शुगर, तम्बाकू, स्मैक, शराब आदि। इन नशे की चीजों के सेवन से फायदा कुछ भी नहीं होता है, बल्कि इनके सेवन से नुकसान ही नुकसान होता है। नशा मनुष्य क नाश का मूल है। नशे से धर्म घटता है, मान घटता है, धन और सेहत का नाश होता है। नशेे से दिल, दिमाग, फेफड़े और गुरदे आदि को नुकसान होता है, जिससे कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ हो जाती हैं और इन बीमारियों से आदमी अकाल ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।नशेे के पदार्थों में शराब और तम्बाकू का सेवन ज्यादातर होता है, क्योंकि यह दो चीजें हर समय आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। तम्बाकू भी कम घातक नहीं है, इससे न केवल प्रयोग करने वाले को नुकसान होता है, बल्कि आस-पास रहने वालों को भी नुकसान होता है। मुँह, गले और फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण भी तम्बाकू ही है। प्राचीन काल से ही ज्ञानियों, विचारकों और संत महात्माओं ने जितनी निन्दा शराब की की है उतनी किसी और की नहीं की। शराब सभी प्रकार की बुराईयों की जड़ और सभी प्रकार के अपराधों की जननी भी है।ं शराब के नशे में ही जघन्य अपराध-हत्या, डकैती, चोरी, झगड़े आदि होते हैं तथा आदमी वाणी पर भी संयम नहीं रख पाता है। दुनिया में अलग-अलग तरह के जहर होते हैं, और इन सबमें सबसे अधिक खतरनाक है ‘शराब’। यह वह समुद्र है जिसका कोई किनारा नहीं है, यह वह भंवर है जिससे कोई छुटकारा नहीं, यह वह बद्दुआ है जिसके लग जाने के बाद इंसान को काई सहारा नहीं। कहा भी जाता है कि पहले इंसान शराब को पीता है, फिर शराब इंसान को पी जाती है। अगर दुनिया में सचमुच कोई अछूत है तो वह इंसान नहीं शराब है। बदनसीबी इसका लिबास है, बदचलनी इसका ओढ़ना-बिछाना और बदतमीजी इसका जेवर है। मद्यपान से देह व आत्मा दोनों ही क्षतिग्रस्त होते हैं। एक संचारक ने मद्यपान को अस्थाई रूप से आत्मा हत्या का दर्जा दिया है। इससे जो खुशी मिलती है वह नकारात्मक होती है तथा इससे क्षणभर के लिये ही हमारा दुःख दूर हो पाता है। शराब की आदत किसी वर्ग विषेश अथवा श्रेणी तक सीमित नहीं है। इस बुराई से सब तरह के लोग-अधिकारी, कर्मचारी, व्यापारी, कामगार, किसान आदि सभी ग्रस्त हो जाते हैं। एक बार जब यह आदत लग जाती है तो आदमी अपना मान-सम्मान, पद आदि सब कुछ भूल जाता है। शराब के प्याले पर बडे से बडा अधिकारी व चपरासी हमप्याला बन जाते हैं। निरोग रहने वाले की इच्छा रखने वाले प्रत्येक मनुष्य को चाहिये कि वह तम्बाकू के किसी भी प्रकार का सेवन न करे, यदि करता भी है तो उसे छोड़ देना चाहिये। शराब के नशे में आदमी सुधबुध खो बैठता है। वह पति व पत्नी में भी फर्क नहीं कर पाता है। ऐसे में कई शराबी अपने बच्चों के साथ भी अभ्रदता कर डालते हैं। कई शराबी सड़कों पर या नालियों में गिरे पड़े देखे जाते हैं। हर साल हजारों आदमी शराब क नशे में वाहनों के नीचे कटकर, ऊँचे भवनों से गिरकर, आग में जलकर, पानी में डूबकर अथवा कैंसर, टीबी आदि रोगों से ग्रस्त होर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। देश के विभिन्न भागों में हर साल सैकड़ों आदमी कच्ची जहरीली शराब पीने से मर जाते हैं और कई सदा के लिये अपाहिज हो जाते हैं। कही-कहीं तो घर के घर तबाह हो जाते हैं।
संसार के सारे दुश्मन मिलकर भी इतनी संपत्ति व मानवों को नष्ट नहीं करते हैं, जितना शराब पीने के कारण आये दिन अखबार में आता है कि नशे में बेटे ने बाप को, बाप ने बेटे को भाई ने भाई को अथवा पति ने पत्नी को मार डाला। तभी एक ज्ञानी ने कहा है कि शराब समुद्र से भी ज्यादा खतरनाक है, समुद्र में डूबने पर एक बार आदमी बच भी सकता है, लेकिन जिसे षराब की लत लग जाती है उसे कोई नहीं बचा सकता है। नशा हमारे जीवन के नाश का कारण बनता है, इसलिये नशे से हमेशा दूरी बनाये रखनी चाहिये।देश के लोगों को नशे से मुक्ति के लिये जागरूक करने व देश के यूवावर्ग को उनकी जिम्मेदारी का अहसास दिलाने के लिये हर साल 31 मई को तम्बाकू मुक्ति दिवस व विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश में खुलेआम नशीले पदार्थों की बिक्री से भी युवावर्ग पर बुरा असर पड़ रहा है। बहुत ही सरलता के साथ उनको नशीली चीजे मिल जाती हैं और कुछ ऐसे अभद्र लोग भी मिल जाते हैं जो नशे का कारोबार करके हमार देश के युवावर्ग को गलत मार्ग पर धकेल रहे हैं, इसलिये हमें अपने स्तर पर नशे के खिलाफ आवाज उठानी होगी और ऐसे लोगों को सबक सिखाना होगा जो हमार देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। एक बार फिर से अपने देश स पश्चिमी सभ्यता को समाप्त कर भारतीय संस्कृति व सभ्यता को स्थापित करने की आवश्यकता है तभी जाकर हमारे देश में सुकून स्थापित होगा और देश का युवा भी सही मार्ग पर अग्रसर होगा, जिससे समाज के साथ-साथ देश का भी कल्याण हो पायेगा। नशे के कारोबार से भले ही कुछ व्यवसायियों का भला हो रहा होगा, लेकिन इससे हमारे देश के युवावर्ग का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। इसलिये इस नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है, ताकि युवावर्ग अपने भविष्य को उज्जवल बनाने में अपना संपूर्ण ध्यान लगा सकें।