10 साल की नन्हीं बच्ची ने पेश की मिशाल “पापा मेरे गुल्लक के पैसे भी दे दीजिए अंकल को……”

MY BHARAT TIMES, 2 जून 2020, मंगलवार। अपने सपने एन जी ओ के अध्यक्ष अरुण कुमार यादव एक चिर परिचित नाम है। समाज के प्रति सदैव समर्पित अरुण कुमार यादव समाज के लिए आज एक प्रेरणास्रोत ही नहीं बल्कि समाज के असहाय एवं जरूरतमंद लोगों के लिए एक मसीहा से कम नहीं। ये मैं नहीं कर रहा हूँ, बल्कि समाज का कोई भी वह इंसान जो गरीब एवं परेशान है, उसकी जुबान से अरुण कुमार यादव का नाम हमेशा आता है।

“मैं हूँ ना….,” अपने इस संकल्प के माध्यम से असंख्य बच्चों, मजदूरों एवं अन्य जरूरतमंद लोगों की हर सम्भव सहायता कर, उनके जीवन में एक उम्मीद की किरण जगाने वाले अरुण कुमार यादव का पूरा परिवार ही समाज सेवा के लिए समर्पित है। निश्चित तौर पर ऐसे जनसेवक का परिवार भी संस्कारित होगा। इसका एक जीता जागता उदहारण है, जब एक मजदूर सरकार द्वारा दी चलाई गई ट्रेन के माध्यम के अपने घर बिहार जा रहा था और उसके पास रास्ते के लिए बिल्कुल भी रूपये नहीं थे तो उसे इनकी याद आई और इनके घर रूपये के लिए पहुँच गया। अरुण कुमार यादव हमेशा से ही ऐसे लोगों की राशन एवं धन की जरुरत पूरी करने का काम करते आ रहे हैं। आज जब उनके पास कैश के रूप में कम पैसे थे तो उनकी 10 साल की नन्हीं बच्ची ने जो मिशाल पेश की वह निश्चित तौर पर काबिलेतारीफ है और समाज के लिए प्रेरणादायी भी। उस बच्ची ने कहा, “पापा मेरे गुल्लक के पैसे भी दे दीजिए अंकल को……”

“मेरे घर पर माजरा के रहने वाले सुहैल नामक एक मजदूर आये, उन्होंने कहा सर हम सरकार द्वारा की हुई ट्रेन द्वारा अपने घर बिहार जा रहे हैं पर मेरे पास रास्ते के लिए एक भी पैसे नहीं हैं । मेरे द्वारा सुहैल के इस मदद हेतु कैश के रूप में कम रुपये ही थे उस समय, तो मेरी 10 वर्षीय बेटी आन्या मेरे पास आई बोली पापा मेरे गुल्लक में जो पैसे है यह सभी अंकल को दे दीजिए। बेटी आन्या ने गुल्लक में इकट्ठे 400 रुपये मुझे दे दिए मजदूर सुहैल को देने के लिए। बेटी आन्या के दिए हुए पैसे सुहैल को मिलने पर उनके चेहरे पर मुस्कान देखते ही बनती थी। संकट के समय तक मेरे द्वारा सुहैल को राशन के रूप में मदद की जाती रही यही। 10 वर्ष की उम्र में बेटी द्वारा यह भावना देख दिल खुश हुआ।”   ……… अरुण कुमार यादव

इतना ही नहीं अरुण कुमार यादव द्वारा समाज में किसी का भी दर्द देखा नहीं जाता, जो व्यक्ति उन्हें गरीब एवं असहाय नजर आता है, वह हर सम्भव कोशिश कर उसकी सहायता करते हैं। कोरोना संक्रमण की इस वैश्विक महामारी के काल में उन्होंने दिन रात एक कर, अपनी संस्था के माध्यम से हर किसी जरूरतमंद की राशन, वस्त्र देकर एवं बच्चों को विद्या दान एवं शिक्षण सामग्री देकर उनकी सहायता की।

दर्द छालों का …..
कितनी सकारात्मक सोच एवं दूरदृष्टिता है श्री अरुण कुमार यादव में, यह इस बात से स्पष्ठ हो जाता है कि वह किसी भी मजदूर या गरीब को जिस हाल में देखते है उसी को अपनी जनसेवा हेतु एक अभियान बना लेते हैं। “दर्द छालों का …..” भी एक ऐसे ही अभियान की कहानी है। एक बार जब उन्होंने देखा कि एक मजदूर ने काफी घिसे हुए चप्पल पहन रखे हैं तथा उनके पैर पर काफी छाले पड़े हुए हैं तो उनसे यह दर्द सहन नहीं हो पाया। उस समय उन्होंने अपनी चप्पल उतारकर उसे पहना दी और बाद में फिर इसी पर अपना अभियान शुरू कर दिया। खुद उनकी जुबानी सुनिए, इस दास्तां को।
“मैंने देखा कि एक मजदूर जो चप्पल पहने हुए थे, वह इतना घिस गया कि बीच में होल हो गया था, साथ ही कई जगहों से टूटे हुए थे, उनके पैरों में जगह जगह छाले पड़े हुए हैं। उस समय मैंने उस मजदूर को अपना चप्पल उतारकर पहना दी। अब हमने इसे “दर्द छालों का …” अभियान से जोड़ते हुए, आज तपते धूप में बिना चप्पलों के रोड पर चल रहे मजदूरों एवं जरूरतमंद बच्चों, महिलाओं को नए चप्पलें प्रदान किये। मैं सभी से निवेदन करता हूँ कि यदि रोड पर जरूरतमंद बिना चप्पलों के दिखे तो उनकी मदद जरूर करें।”……अरुण कुमार यादव

कोरोना काल ही नहीं, ‘अपने सपने’ संस्था सभी जरूरतमंदों को हमेशा से ही सहायता पहुँचती आ रही है। संस्था सैकड़ों गरीब बच्चों को हर तरह की शिक्षा निःशुल्क प्रदान कर, उनका भविष्य उज्जवल बनाने का पावन कार्य कर रही है। जन्मदिन हो या अन्य कोई सुअवसर, इन असहाय बच्चों को किसी तरह की कमी का अहसास न हो, इसका ध्यान रखती है, संस्था।

 

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