प्ले गु्रप से लेकर कक्षा पांच तक के बच्चें एक ही कक्षा रुम में करते हैं पढ़ाई, शिक्षक भी नहीं है मौजूद, शिक्षा विभाग के साथ.साथ बाल आयोग भी है मौन
सोनिया बालियान
देहरादून। उत्तराखंड के राजधानी दून में युवाओं के भाविष्य के साथ खिलवाड़ कर फीस वृद्धि का मामला चल रहा है तो वहीं निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर बच्चों का भविष्य दाव पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैए अभिभावकों को लूट कर स्कूल माफियां अपनी मौजमस्ती कर रहे है तथा बच्चें को गंदगी में पढ़ाते है।
ऐसा ही एक मामला हरिद्वार रोड़ स्थित करगी चोक के समीप दून उर्दू अकादमी स्कूल ब्रहमपुरी ;लोनिवालाद्ध का सामने आया हैए जो 2013 से संचालित हैं। जिसमें मानकांे के विरूद्ध बच्चों को पढ़ाया जा रहा हैए मोटी रकम लिया जा रहा है। नियम कानून को ताक पर रखकर स्कूल संचालक ने अपनी मर्जी से स्कूल संचालन कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की मानकों या नियम कानून का यह दून उर्दू अकादमी स्कूल में कोई महत्व नहीं रखता है। यह स्कूल बच्चांे के शिक्षा दिलाने के नाम पर सिर्फ और सिपर्फ अपनी जेब गर्म करते नजर आ रहे हैं। खास बात यह है कि यहां प्ले ग्रुप से लेकर कक्षा पांच के बच्चांे को एक ही कमरे में पढ़ाया जा रहा है। जिसके चलते बच्चांे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग व बाल आयोग यह मनमानी वाला स्कूल पर नकेल लगाने में असफल हो रहा है। दून में मनमर्जी से संचालित यह स्कूल के मालिक के कंधे पर सौकड़ों बच्चों का भविष्य टिका हुआ हैं। दून उर्दू अकादमी में बच्चों के लिए कक्षा रूम नहीं हैए शिक्षक नहीं हैए पानी व शौचालय नहीं हैए खेल मैदान नहीं हैए साथ ही गंदगी फैला हुआ है। दून में मानकों के विरूद्ध संचालित यह स्कूल पर विभाग का रवैया नरम क्यों है. विभाग स्कूल के हर बच्चों के भविष्य के प्रति कितना गंभीर हैंघ् शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है। स्कूल के प्रिसिंपल मौण् अहमद मंसूरी मुफ्रत शिक्षा देने की बात कर रहे है। वहीं स्कूली बच्चों से मोटी रकम हर माह लिए जाता हैं। जब स्कूल में किसी तरह की कोई सुविधा नहीं हैए इस बारे में स्कूल के प्रिंसिपलध्मालिक मौण् अहमद मंसूरी से बात की गई तो वह अपना मुंह छिपाते नजर आए। प्रिंसिपलध्मालिक अपने आपको एक साप्ताहिक समाचार पत्र के पत्रकार बोल रहे है। यह स्कूल मालिक पत्रकारिता के आड़ में अभिभावए छात्र.छात्राएंए बाल आयोग व शिक्षा विभाग को गुमराह कर रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता हैं कि यदि शिक्षा विभाग व बाल आयोग ऐसे मनमर्जी तरीके से चल रहे स्कूल में कार्रवाई कब करेगी। जिसे की शिक्षा के नाम पर अभिवावकों से बच्चांे के भविष्य को लेकर लूटने से बचा सके। अब देखना यह होगा कि यह मनमर्जी वाला स्कूल पर विभाग व बाल आयोग कार्रवाई करती है या नहीं.